बिकवाली के बीच भी भारतीय प्राइमरी मार्केट में विदेशी निवेशकों की भागीदारी जारीBy Admin Sat, 23 August 2025 06:08 AM

मुंबई। विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) इस साल लगातार बिकवाली कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वे भारतीय प्राइमरी मार्केट में भागीदारी कर रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह उनकी नई थीम्स और व्यवसायों में निवेश की निरंतरता को दर्शाता है।

2025 के अधिकांश महीनों में एफआईआईज़ नेट सेलर रहे हैं और अगस्त में भी यह रुझान जारी है। इस महीने भारी पैमाने पर बिकवाली दर्ज हुई है, हालांकि कुछ दिनों में सीमित खरीदारी भी देखने को मिली।

वाटरफील्ड एडवाइजर्स के सीनियर डायरेक्टर एवं हेड ऑफ इक्विटीज विपुल भोवर ने कहा, “जब हम सेकेंडरी और प्राइमरी मार्केट इनफ्लो का आंकड़ा देखते हैं तो यह साफ होता है कि एफआईआई अब भी प्राइमरी मार्केट में सक्रिय हैं। इसका मतलब है कि वे नए थीम्स और बिजनेस में निवेश कर रहे हैं, जबकि धीमी वृद्धि वाले सेक्टर्स से अपनी हिस्सेदारी घटा रहे हैं।”

इसी बीच, घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) लगातार खरीदार बने हुए हैं, जिन्हें मजबूत रिटेल और एसआईपी इनफ्लो का सहारा मिला है।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के पहले पखवाड़े में विदेशी निवेशकों ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय इक्विटी से लगभग 21,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की। इसके साथ ही 2025 में अब तक इक्विटी से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की कुल निकासी 1.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस बिकवाली के पीछे अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताएं, कमजोर तिमाही-1 कॉरपोरेट नतीजे और रुपये में गिरावट प्रमुख कारण रहे हैं, जिसने निवेशकों की धारणा पर असर डाला।

हालांकि, एसएंडपी ग्लोबल की हालिया रेटिंग कार्रवाई के बाद एफआईआई की बिकवाली में कमी देखी जा रही है। एसएंडपी ने भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत लगाया है, जो अन्य अनुमानों की तुलना में अधिक व्यावहारिक माना जा रहा है।

रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा है कि अमेरिकी टैरिफ का भारत पर कुल प्रभाव सीमित रहेगा और यह देश की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं को प्रभावित नहीं करेगा।

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, फार्मास्युटिकल्स और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स पर सेक्टोरल छूट मिलने से टैरिफ से प्रभावित भारतीय निर्यात का हिस्सा जीडीपी का केवल 1.2 प्रतिशत है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में अगस्त 2025 में भारत की दीर्घकालिक संप्रभु क्रेडिट रेटिंग को BBB– से बढ़ाकर BBB कर दिया है और आउटलुक स्थिर रखा है।

रेटिंग अपग्रेड तीन मुख्य कारकों पर आधारित है — विश्वसनीय राजकोषीय संयम, मजबूत बाहरी स्थिति और अच्छी तरह से नियंत्रित मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाएं।

 

With inputs from IANS