
चाईबासा – झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में एक जंगली मादा हाथी रविवार को माओवादी आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) पर पैर रखकर गंभीर रूप से घायल हो गई।
करीब 10 से 12 वर्ष की उम्र की इस हाथी के दाहिने अगले पैर में गहरा जख्म हो गया है। विस्फोट के कारण पैर का हिस्सा उड़ गया, जिससे मांसपेशियां फट गईं और वह बेहद दर्द में तड़प रही थी।
स्थानीय ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग और पशु चिकित्सकों की संयुक्त टीम सोमवार सुबह मौके पर पहुंची। लगभग चार घंटे की मशक्कत के बाद टीम घायल हाथी के पास पहुंची और प्राथमिक उपचार दिया गया।
पशु चिकित्सक डॉ. संजय कुमार, जिन्होंने उपचार टीम का नेतृत्व किया, ने बताया, “हाथी की हालत नाजुक है, लेकिन हम उसे स्थिर करने और सुरक्षित स्थान पर ले जाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।”
उन्हें एंटीबायोटिक, दर्द निवारक और सूजनरोधी दवाएं दी गईं। अधिकारियों ने बताया कि हाथी को केले में दवा मिलाकर खिलाया गया, जिसमें सिडेटिव (नींद लाने वाली दवा) और एंटीबायोटिक शामिल थे। उसकी निगरानी के लिए वनकर्मियों को चौबीसों घंटे तैनात किया गया है।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह आईईडी संभवतः माओवादियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए लगाया गया था। सारंडा जंगल लंबे समय से माओवादी गढ़ माना जाता है।
यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले 5 जुलाई को ‘गद्रू’ नामक छह वर्षीय हाथी की इसी तरह के आईईडी विस्फोट में घायल होकर मौत हो गई थी।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम सभी एजेंसियों से अपील करते हैं कि वन क्षेत्रों में लगे आईईडी की पहचान और निष्क्रियकरण के लिए मिलकर काम करें ताकि वन्यजीवों और सुरक्षा बलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”
With inputs from IANS