
रामगढ़: झारखंड के रामगढ़ जिले में बुधवार को उस समय आक्रोश और दहशत का माहौल बन गया, जब जंगली हाथियों के अलग-अलग हमलों में एक ही दिन में चार लोगों की मौत हो गई। इन घटनाओं के विरोध में स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए।
गुस्साए ग्रामीणों ने घाटो इलाके के नंबर फोर चौक को कई घंटों तक जाम रखा और जिला प्रशासन तथा वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हाथियों को आबादी वाले क्षेत्रों में आने से रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए।
सड़क जाम के कारण रामगढ़–केदला मुख्य मार्ग और आसपास की सड़कों पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
मंगलवार शाम से देर रात तक घाटो थाना क्षेत्र में हुई इन घटनाओं में अमित रजवार (33), अमूल महतो (35), पार्वती देवी (40) और सावित्री देवी (45) की जान चली गई।
लगातार हुई मौतों की खबर फैलते ही पूरे इलाके में भय का माहौल बन गया और कई ग्रामीणों ने रात घरों में ही बिताई।
स्थानीय लोगों के अनुसार, पहली घटना मंगलवार दोपहर करीब 4 बजे पश्चिम बोकारो के आरा नंबर फोर फीडर ब्रेकर के पास हुई। सड़क किनारे हाथियों का झुंड रुका हुआ था, जिसे देखने के लिए आसपास के लोग जुट गए। इसी दौरान कुछ लोगों द्वारा हाथियों को भगाने की कोशिश किए जाने पर एक हाथी आक्रामक हो गया और हमला कर दिया।
सरुबेरा कोलियरी में काम कर ड्यूटी खत्म कर घर लौट रहे अमित रजवार को हाथी ने कुचलकर मार डाला। इसके बाद रामगढ़–केदला मार्ग पर अफरा-तफरी मच गई और कई भारी वाहन चालक अपने वाहन छोड़कर भाग गए।
कुछ घंटों बाद गिद्दी निवासी अमूल महतो की भी हाथी के हमले में मौत हो गई। देर रात हालात और बिगड़ गए, जब हाथियों ने महावीर मांझी की पत्नी पार्वती देवी और स्वर्गीय लखन करमाली की पत्नी सावित्री देवी को कुचल दिया।
लगातार हुई इन घटनाओं से पूरा क्षेत्र सदमे में है। ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मांग की कि हाथियों को जंगलों तक सीमित करने, समय रहते चेतावनी प्रणाली मजबूत करने और मृतकों के परिजनों को शीघ्र व उचित मुआवजा देने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
With inputs from IANS