रांची — झारखंड सरकार ने एक अनोखी पहल करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत 126 विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति बोली आधारित प्रणाली के माध्यम से की है। इस प्रक्रिया में डॉक्टरों को उनके चुने हुए कार्यस्थल के लिए न्यूनतम मानदेय बताने का विकल्प दिया गया, और उसी के आधार पर पोस्टिंग दी गई।
मंगलवार को रांची के नामकुम स्थित IPH ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने चयनित डॉक्टरों को नियुक्ति एवं पोस्टिंग पत्र सौंपे।
इस प्रणाली के तहत राज्य भर के स्वास्थ्य केंद्रों की सूची डॉक्टरों को प्रदान की गई। इसके बाद जिन डॉक्टरों ने किसी स्थान के लिए सबसे कम मानदेय की बोली लगाई, उन्हें प्राथमिकता दी गई।
डॉ. अंसारी ने डॉक्टरों को बधाई देते हुए कहा, “हमारा सपना है कि झारखंड का हर जिला मेडिकोस सिटी बने। अब से हर नियुक्त डॉक्टर अपने अस्पताल का 'स्वास्थ्य मंत्री' होगा।”
अतिरिक्त मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि यह केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक मिशन है। उन्होंने बताया कि रांची का सदर अस्पताल राष्ट्रीय मॉडल के रूप में उभर रहा है और उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मॉडल को समझने की इच्छा जताई है।
नियुक्त डॉक्टरों में 22 बाल रोग विशेषज्ञ, 20 सर्जन, 19 स्त्री रोग विशेषज्ञ, 17 एनेस्थेटिस्ट, 11 सामान्य चिकित्सक, 10 हड्डी रोग विशेषज्ञ, 9 नेत्र चिकित्सक, 5 ईएनटी विशेषज्ञ, 5 मनोरोग विशेषज्ञ, 4 रेडियोलॉजिस्ट और 4 त्वचा रोग विशेषज्ञ शामिल हैं।
हालांकि कुल 219 पदों के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन केवल 126 डॉक्टरों ने आवेदन किया और चयन प्रक्रिया पूरी की। शेष 93 पद खाली रह गए।
सरकार के नियमों के अनुसार, चयनित डॉक्टरों को सरकारी आवास में रहना अनिवार्य होगा और वे निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।
झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी है — 37,000 की आवश्यकता के मुकाबले केवल 7,500 डॉक्टर उपलब्ध हैं, और विशेषज्ञों की स्थिति और भी खराब है, जहां 1,200 स्वीकृत पदों में मात्र 300 पद ही भरे गए हैं। सरकार को उम्मीद है कि यह मॉडल ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में मदद करेगा।
With inputs from IANS