मनीषा कोइराला: अनिश्चित समय में योग और स्थिरता बनते हैं सहाराBy Admin Fri, 17 October 2025 07:00 AM

मुंबई - वरिष्ठ अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने जीवन में आने वाली अनिश्चितता और उलझनों से निपटने के अपने तरीके को साझा करते हुए बताया कि उन्हें हमेशा योग में अपनी शांति और संतुलन मिलता है।

मनीषा ने इंस्टाग्राम पर अपनी योगाभ्यास करते हुए तस्वीरों का एक कोलाज साझा किया। तस्वीरों में वे अंजनेयासन और सुखासन करती नजर आ रही हैं।

उन्होंने कैप्शन में लिखा,
“जब जीवन अनिश्चित महसूस होता है और मन भ्रम में दौड़ता है… मैं स्थिरता की ओर लौटती हूं। उस स्थिरता में, मैं फिर योग की ओर लौटती हूं — एक व्यायाम के रूप में नहीं, बल्कि अपने भीतर घर लौटने के रूप में। संतुलन कोई ऐसी चीज़ नहीं जो मैं खोजती हूं, यह वह अवस्था है जहाँ मैं लौट आती हूं।”

स्त्रीत्व पर बात करते हुए मनीषा ने आगे लिखा,
“यह समर्पण है नारीत्व को (जो कभी आसान सफर नहीं होता), जीवन को, दोस्ती को और गरिमा के साथ उम्र बढ़ाने को। यह उन लोगों को चुनने की बात है जो हमारे जीवन में अर्थ जोड़ते हैं।”

54 वर्षीय मनीषा कोइराला हाल ही में संजय लीला भंसाली की पहली ओटीटी सीरीज़ ‘हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार’ में दिखाई दीं। यह शो भारत की आज़ादी की जंग के दौरान लाहौर के हीरा मंडी इलाके पर आधारित था, जिसमें तवायफों के जीवन और उनके राजनीतिक व व्यक्तिगत संघर्षों को दर्शाया गया था।

मनीषा अपने दौर की सबसे लोकप्रिय और सर्वाधिक पारिश्रमिक पाने वाली अभिनेत्रियों में से एक रही हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1989 में नेपाली फिल्म ‘फेरी भेटौला’ से की थी, और 1991 में हिंदी सिनेमा में ‘सौदागर’ से डेब्यू किया।

इसके बाद वे ‘बॉम्बे’, ‘अग्निसाक्षी’, ‘इंडियन’, ‘गुप्त: द हिडन ट्रुथ’, ‘कच्चे धागे’, ‘मुधलवन’, ‘कंपनी’, ‘1942: ए लव स्टोरी’, ‘अकेले हम अकेले तुम’, ‘खामोशी: द म्यूज़िकल’, ‘दिल से..’ और ‘लज्जा’ जैसी फिल्मों में नजर आईं।

आगे चलकर उन्होंने ‘एस्केप फ्रॉम तालिबान’, ‘इलेक्ट्रा’ और ‘आई एम’ जैसी ऑफबीट और आर्टहाउस फिल्मों में भी काम किया।

साल 2012 में उन्हें अंडाशय के अंतिम चरण के कैंसर का पता चला था, जिसके लिए उन्होंने एक साल लंबा उपचार कराया। मनीषा ने 2014 के मध्य तक पूरी तरह स्वस्थ होकर वापसी की और 2017 में फिल्म ‘डियर माया’ से पर्दे पर लौटीं।

 

With inputs from IANS