मुंबई — दिग्गज फिल्म निर्माता सुभाष घई इस फादर्स डे पर अपनी बेटियों मेघना और मुस्कान की ओर से मिले एक प्यारे सरप्राइज़ से बचपन की मासूम खुशी में खो गए।
जब वह घर लौटे तो पूरा घर रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजा हुआ था — यह सादगी भरा लेकिन दिल छू लेने वाला दृश्य उन्हें तुरंत नागपुर में बिताए अपने बचपन की यादों में ले गया, जब उनकी मां ने उनके चौथे जन्मदिन पर कमरा इसी तरह सजाया था। इंस्टाग्राम पर भावुक पोस्ट साझा करते हुए घई ने बताया कि घर में गुब्बारे देखकर वो लम्हा जैसे फिर से जीवंत हो गया।
फिल्मकार ने पीढ़ियों के बीच इस प्रेम की डोर को जोड़ते हुए लिखा कि जैसे उन्हें बचपन में मां से प्यार मिला था, आज वैसा ही प्रेम उन्हें अपनी बेटियों से मिल रहा है — यह उनके लिए बेहद आशीर्वाद और गर्व की बात है।
‘ताल’ के निर्देशक ने अपनी बेटियों के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा:
“जब मैंने फादर्स डे पर अपने घर में सुंदर गुब्बारे देखे, तो यह मेरे लिए बहुत प्यारा सरप्राइज़ था। उस पल मैं फिर से बच्चा बन गया। मुझे याद आया जब मेरी मां ने मेरे चौथे जन्मदिन पर मेरे कमरे को रंग-बिरंगे गुब्बारों से भर दिया था। नागपुर के उस घर की यादें ताज़ा हो गईं।"
“कितनी पीढ़ियां बदल जाती हैं, पर मुझे आज भी अपनी बेटियों से उतना ही प्रेम और स्नेह मिल रहा है। धन्यवाद मेरी प्यारी बेटियों — मेघना और मुस्कान। बहुत प्यार। भावुक हूँ और खुद को धन्य मानता हूँ।”
दोनों बेटियों ने भी अपने पिता को बेहद दिल से फादर्स डे की शुभकामनाएं दीं।
मेघना घई ने पिता के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा:
"हैप्पी फादर्स डे पापा। आपने मुझे सिर्फ पाला नहीं, बल्कि वो रास्ता भी बनाया जिस पर मैं आज चलती हूं। आपने मुझे सिर्फ अपना नाम नहीं दिया, बल्कि अपना दृष्टिकोण, अपनी ताकत और मेरा उद्देश्य भी दिया। हमेशा आभारी रहूंगी।”
सुभाष घई भारतीय सिनेमा के एक प्रतिष्ठित नाम हैं, जिन्होंने निर्देशक, निर्माता, अभिनेता, गीतकार, संगीत निर्देशक और पटकथा लेखक के रूप में बहुआयामी योगदान दिया है। 1980 और 1990 के दशक में वे हिंदी सिनेमा के सबसे प्रभावशाली फिल्मकारों में शुमार हुए। उनकी फिल्मों में शामिल हैं — “कालीचरण”, “विश्वनाथ”, “कर्ज़”, “हीरो”, “विधाता”, “मेरी जंग”, “कर्मा”, “राम लखन”, “सौदागर”, “खलनायक”, “परदेस” और “ताल”।
With inputs from IANS