
नई दिल्ली: सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हाल ही में सरकारी दफ्तरों और स्कूलों में शुगर और ऑयल बोर्ड लगाए जाने की पहल को विशेषज्ञों ने “स्वस्थ भारत” की दिशा में एक बेहतरीन कदम बताया है।
ICMR - राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी सरकारी कार्यालयों से "शुगर बोर्ड्स" प्रमुखता से लगाने की अपील की है, ताकि कार्यस्थलों को अधिक स्वस्थ बनाया जा सके।
इन बोर्ड्स में सामोसा, कचौड़ी, पिज्जा, पकोड़ा, केले के चिप्स, बर्गर, सॉफ्ट ड्रिंक और चॉकलेट पेस्ट्री जैसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में छिपी हुई शुगर और तेल की मात्रा के नुकसान को दर्शाया गया है।
साथ ही यह भी बताया गया है कि इन खाद्य पदार्थों का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति को प्रतिदिन कितनी वसा और शुगर का सेवन करना चाहिए।
डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा,
"खाद्य पदार्थों में छिपी वसा और शुगर को लेकर जागरूकता फैलाने का यह शानदार कदम है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों पर साफ लेबलिंग और पीडीएस व स्कूल भोजन योजना के ज़रिए आहार में विविधता लाकर इस पहल को और बल दिया जा सकता है।”
FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वस्थ भारत के विज़न से प्रेरित बताया है।
FSSAI ने कहा कि यह एक नवोन्मेषी व्यवहार परिवर्तन रणनीति है जो लोगों को स्वस्थ विकल्प चुनने और मोटापे को रोकने में मदद करेगी।
इसके साथ ही यह "ईट राइट इंडिया (Eat Right India)" अभियान को भी मज़बूती देगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जीवनभर अतिरिक्त शुगर के सेवन को कम करने की सिफारिश की है। WHO के अनुसार वयस्कों और बच्चों, दोनों को अपनी कुल ऊर्जा का 10% से भी कम फ्री शुगर से प्राप्त करना चाहिए।
और बेहतर स्वास्थ्य के लिए यह सीमा 5% से भी कम होनी चाहिए।
CBSE (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) ने मई में स्कूलों को “शुगर बोर्ड्स” लगाने का निर्देश दिया था।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल वैश्विक पोषण लक्ष्यों के अनुरूप है और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक और कुछ प्रकार के कैंसर जैसे गैर-संक्रमणीय रोगों (NCDs) से लड़ने में भारत की मदद करेगी।
डॉ. राजीव जयदेवन, संयोजक, रिसर्च सेल, केरल राज्य IMA ने कहा:
"चीनी और तेल का अत्यधिक सेवन, और शारीरिक गतिविधियों की कमी मोटापा और एनसीडी का बड़ा कारण है।
शुरुआत से पोषण के प्रति जागरूकता बेहद ज़रूरी है। स्कूलों में स्पष्ट लेबलिंग और आहार शिक्षा से बच्चों को स्वस्थ विकल्प चुनने की शक्ति मिलेगी।”
उन्होंने कहा,
"शुगर अक्सर पेयों, फलों के रस और प्रोसेस्ड स्नैक्स में छिपी होती है, जबकि तेल – जो कैलोरी से भरपूर होता है – तले हुए खाद्य पदार्थों, फास्ट फूड और घरेलू पकवानों में भरपूर मात्रा में इस्तेमाल होता है। इनके सेवन में मॉडरेशन अपनाना जरूरी है, ताकि देशव्यापी स्तर पर गैर-संक्रमणीय बीमारियों की रोकथाम हो सके।”
With inputs from IANS