पाकिस्तान से सिर्फ आतंकवाद और पीओके पर ही बातचीत संभव: पीएम मोदी ने लिया सख्त रुखBy Admin Tue, 13 May 2025 01:42 AM

नई दिल्ली (IANS): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं करेगा, जब तक वह आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से संबंधित न हो।

पीएम मोदी ने पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव के दिनों के बाद पहली बार संबोधन में सख्त रुख अपनाते हुए यह बात कही।

उन्होंने पाकिस्तान सरकार और सेना की आतंकवाद को समर्थन देने के लिए तीखी आलोचना की और चेतावनी दी कि ऐसे कदम उनके पतन का कारण बन सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता से अलग करके नहीं देखा जा सकता।

पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं करेगा जब तक कि वह आतंकवाद या पीओके से जुड़ी न हो।

उनकी यह टिप्पणी उन रिपोर्ट्स के बाद आई, जिनमें कहा गया कि पाकिस्तान ने संघर्षविराम के बदले कुछ शर्तें रखी थीं, जैसे कि भारत द्वारा निलंबित सिंधु जल संधि को फिर से सक्रिय करने की मांग।

भारत ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि उसकी जल-साझेदारी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और जम्मू-कश्मीर को लेकर किसी भी तरह की शर्त स्वीकार नहीं की गई है।

भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने, आतंकवादियों को प्रशिक्षण और वित्तीय मदद देने का आरोप लगाता रहा है।

हालांकि पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता रहा है, लेकिन समय-समय पर ऐसे सबूत सामने आते रहे हैं, जो पाकिस्तानी तंत्र की आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता को उजागर करते हैं।

इसका उदाहरण 2001 का संसद हमला, 2011 के मुंबई हमले, और 2016 व 2019 में उरी और पुलवामा पर हुए सैन्य हमले हैं।

हाल ही में पहलगाम हमले की जांच में भी पाकिस्तानी संबंध सामने आए, जिसमें तीन आतंकवादियों की पहचान पाक नागरिकों के रूप में हुई और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 'रेजिस्टेंस फ्रंट' ने जिम्मेदारी ली।

भारत ने इसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके स्थित नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय शामिल थे।

पाकिस्तान बार-बार कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग करता रहा है, लेकिन भारत ने हमेशा इसे द्विपक्षीय मुद्दा माना है। यहां तक कि जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता की पेशकश की थी, भारत ने इसे तुरंत खारिज कर दिया और दोहराया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, कोई सार्थक वार्ता संभव नहीं है।

राजनयिक प्रयासों के बावजूद भारत अपने रुख पर अडिग है — आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते।

बाहरी दबावों और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के बावजूद भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करते हुए यह सुनिश्चित करता रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बना रहे।