मोदी सरकार का करारा प्रहार: पाकिस्तान की आतंक निर्यात नीति को वैश्विक मंचों पर बेनकाब करेंगे सांसदBy Admin Fri, 16 May 2025 07:00 AM

नई दिल्ली (IANS): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाने की तैयारी की है। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता को उजागर करने और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के उद्देश्य से, सरकार बहु-दलीय सांसद प्रतिनिधिमंडलों को प्रमुख विश्व राजधानियों में भेजने पर विचार कर रही है।

इन दलीय सीमाओं से परे सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों का मकसद होगा भारत के साक्ष्यों और रुख को प्रत्यक्ष रूप से विदेशी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के समक्ष रखना, ताकि पाकिस्तान और उसके समर्थकों द्वारा फैलाए जा रहे झूठे प्रचार को चुनौती दी जा सके।

सूत्रों के अनुसार, यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयास बढ़ रहे हैं — विशेष रूप से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियों के बाद। भारत का स्पष्ट रुख है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मामला है।

अगर इस प्रस्ताव को अंतिम मंज़ूरी मिलती है, तो यह पहली बार होगा जब मोदी सरकार भारत के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक दूतों के रूप में तैनात करेगी, ताकि पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक छवि को बेनकाब किया जा सके।

इस पहल का मुख्य फोकस दो स्तरों पर होगा:

पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, को दुनिया के सामने लाना।

यह स्पष्ट करना कि भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाकर किया गया था, नागरिकों को नहीं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस पहल का मकसद पाकिस्तान और उसके समर्थकों द्वारा रचा जा रहा झूठा नैरेटिव तोड़ना है।”

विदेश मंत्रालय, खुफिया और रक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर विस्तृत दस्तावेज और तर्क-संगत प्रस्तुति तैयार कर रहा है। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास इन प्रतिनिधिमंडलों के प्रयासों को समर्थन देंगे और उच्च स्तरीय बैठकों की व्यवस्था करेंगे।

सांसद वैश्विक समुदाय को यह बताने का प्रयास करेंगे कि पाकिस्तान ने दशकों से आतंकवाद को अपनी राज्य नीति का हिस्सा बना रखा है, जिसमें आईएसआई की भूमिका, आतंकी शिविरों, भर्ती नेटवर्क और खुफिया साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएंगे।

प्रतिनिधिमंडल यह भी रेखांकित करेगा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रियाएं ही यह सिद्ध करती हैं कि वह आतंकवादियों को संरक्षण और समर्थन देने में लिप्त है।

भारत की यह आक्रामक कूटनीतिक रणनीति न केवल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि महत्वपूर्ण वैश्विक मंचों और द्विपक्षीय बातचीत से पूर्व भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ करेगी।