नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की बात कही थी। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि हालिया संघर्षविराम भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे संवाद का परिणाम है, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही।
नीदरलैंड में एक मीडिया साक्षात्कार के दौरान जयशंकर ने कहा,
"यह ऐसा मुद्दा है जिसे केवल भारत और पाकिस्तान को आपस में मिलकर सुलझाना है।"
उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत पाकिस्तान के साथ वार्ता के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन यह बातचीत गंभीर और आतंकवाद समाप्त करने पर केंद्रित होनी चाहिए।
"हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन यह बातचीत तभी होनी चाहिए जब वह आतंकवाद रोकने पर केंद्रित और गंभीर हो," उन्होंने जोड़ा।
जयशंकर की यह टिप्पणी ट्रंप के उस दावे के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने दक्षिण एशिया के इन दो देशों के बीच "हज़ार साल पुराने संघर्ष" में शांति स्थापित करने में मदद की है।
हालांकि, भारत का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है — कश्मीर मुद्दा और भारत-पाक तनाव पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
जयशंकर ने अपने साक्षात्कार में भारत-पाक संबंधों के ऐतिहासिक संदर्भ को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि 1947 के विभाजन के तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने कश्मीर में सशस्त्र संघर्ष की शुरुआत की थी।
"पाकिस्तान ने लड़ाकों को कबीलों के भेष में भेजा था, जिनमें कई बाद में पाकिस्तानी सैनिक निकले — कुछ वर्दी में, तो कुछ बिना वर्दी के," उन्होंने बताया।
जयशंकर ने कहा कि वर्षों से पाकिस्तान कट्टरता के मार्ग पर चलता रहा है और आतंकवाद को सीमा पार से भारत पर दबाव बनाने के लिए एक उपकरण की तरह इस्तेमाल करता आया है।
हाल ही में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया था। मृतकों में एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
इस हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से एक सटीक जवाबी कार्रवाई शुरू की, जिसमें पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया।
With inputs from IANS