नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति पर अडिग है और उन्होंने वैश्विक समुदाय से इस खतरे को जड़ से खत्म करने की अपील की।
सोशल मीडिया मंच X पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कोई विकल्प नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने एक अंग्रेज़ी अख़बार में प्रकाशित अपना लेख भी साझा किया, जिसमें आतंकवाद से निपटने के उपाय सुझाए गए हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद का भारत पिछले कई दशकों से शिकार रहा है — चाहे वो 26/11 का मुंबई हमला हो, 2001 में संसद पर हमला हो या हाल ही का पहलगाम हमला — लेकिन भारत पहले से कहीं अधिक मजबूत, एकजुट और निर्णायक बनकर खड़ा है।
उन्होंने कहा,
“हमने दुनिया को दिखा दिया है कि आतंकवाद को कैसे रोका जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि आतंकवाद की मुद्रा डर होती है, लेकिन भारत में आतंकवादी देश की एकता को तोड़ने में नाकाम रहे हैं।
पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर लोगों की पहचान कर हत्या की, और पाकिस्तान ने विभिन्न धर्मस्थलों पर हमले किए — देश को बांटने की कोशिश की गई, लेकिन वे असफल रहे।
राजनाथ सिंह ने दोहराया कि एनडीए सरकार का स्पष्ट रुख है कि पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत केवल आतंकवाद और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) पर ही होगी।
उन्होंने साफ कहा:
“बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। अगर पाकिस्तान गंभीर है, तो उसे हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे यूएन-घोषित आतंकवादियों को भारत को सौंप देना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पहले सेना को केवल रक्षात्मक कार्रवाई की अनुमति थी, लेकिन अब सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों को अंजाम दिया जा रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अब हर आतंकी हमला, युद्ध की तरह माना जाता है, और भारत आतंकियों को वहीं मारता है जहां वे छिपे हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित आतंकियों पर लगाम नहीं लगाता, तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
उन्होंने बताया कि भारत ने पाकिस्तान को राजनयिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दिया है, और जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना नहीं छोड़ता, सिंधु जल संधि को स्थगित रखा गया है।
आतंकी नेटवर्कों को प्रभावी ढंग से खत्म करने के लिए उन्होंने एक सर्वमान्य परिभाषा की जरूरत बताई, ताकि जांच और अभियोजन में सहूलियत हो और विदेशों से आतंकियों का प्रत्यर्पण सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि दात्री देश और बहुपक्षीय संस्थाएं उन राष्ट्रों की फंडिंग बंद करें जो आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं।
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि उसने बेलआउट पैकेजों का दुरुपयोग कर आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, और FATF को फिर से उसे ग्रे लिस्ट में डालना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में राज्य और गैर-राज्य तत्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं — वहां आतंकियों को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार दिए जाते हैं।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार गैर-राज्य तत्वों के हाथ में जा सकते हैं, इसलिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में लाना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने इस बात पर बल दिया कि आतंकी हमलों पर दुनिया की प्रतिक्रिया घटनास्थल या पीड़ित की नागरिकता के आधार पर नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं।
उन्होंने कहा,
“अब समय आ गया है कि सभी देश एकजुट होकर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक कन्वेंशन (Comprehensive Convention Against International Terrorism) पर हस्ताक्षर करें।”
With inputs from IANS