भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान 2027 की पहली तिमाही में प्रस्तावित: केंद्रीय मंत्रीBy Admin Wed, 07 May 2025 07:45 AM

नई दिल्ली (IANS): भारत की पहली मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है और इसकी पहली मानवयुक्त उड़ान 2027 की पहली तिमाही में प्रस्तावित है, यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को दी।

डॉ. सिंह ने बताया कि इस वर्ष की शुरुआत में टीवी-डी1 मिशन और पहले मानव रहित टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन की सफल पूर्णता ने आगामी परीक्षणों के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर दिया है।

उन्होंने कहा कि दूसरा टेस्ट व्हीकल मिशन (TV-D2) वर्ष 2025 के अंत में होगा, जिसके बाद गगनयान के मानव रहित कक्षीय उड़ान परीक्षण किए जाएंगे। इन सभी चरणों के बाद 2027 में भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान भारतीय रॉकेट के जरिए भारतीय धरती से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ प्रक्षेपित की जाएगी।

मंत्री ने इसे "ऐतिहासिक मिशन" बताते हुए कहा कि गगनयान कार्यक्रम केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत के आत्मनिर्भर वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरने का प्रतीक है, जो स्वदेशी तकनीक, वित्तीय संयम और दूरदर्शी राजनीतिक नेतृत्व पर आधारित है।

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही भारत के दीर्घकालिक अंतरिक्ष लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से सामने रख चुके हैं, जिनमें 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक पहले भारतीय को चंद्रमा पर भेजना शामिल है।

गगनयान मिशन के तहत ह्यूमन-रेटेड LVM3 रॉकेट, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल अंतिम परीक्षणों और संयोजन के दौर से गुजर रहे हैं।

डॉ. सिंह ने यह भी पुष्टि की कि मानव रहित कक्षीय मिशन 2024 के अंत तक लॉन्च के लिए तैयार है। इसके लिए भारतीय नौसेना के सहयोग से रिकवरी ट्रायल पहले ही हो चुके हैं, और समुद्र में और भी परीक्षण जल्द किए जाएंगे।

भारतीय वायुसेना के चार पायलट, जिन्हें अंतरिक्ष यात्री नामांकित किया गया है, रूस में प्रारंभिक प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं और अब भारत में विशेष मिशन आधारित प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनकी स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति और सिमुलेशन-आधारित संचालन दक्षता की नियमित जांच की जा रही है।

मंत्री ने यह भी कहा कि 'गगनयान' मिशन पर होने वाला खर्च अन्य देशों द्वारा किए गए मानव अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इसके द्वारा प्राप्त होने वाले तकनीकी नवाचार और आर्थिक लाभ कई गुना अधिक होंगे।

इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने भी गगनयान मिशन को भारत के आत्मनिर्भर अंतरिक्ष राष्ट्र के रूप में उभरने का उत्प्रेरक बताया और कहा कि यह मिशन वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और युवा उद्यमियों की नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है।

2026 में संभावित मानवयुक्त मिशन के साथ, भारत जल्द ही उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिन्होंने स्वतंत्र रूप से मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता विकसित की है।