नई दिल्ली (IANS): महाराष्ट्र के नाशिक स्थित गुरु गोविंद सिंह कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने पशुओं के परिवहन को सुरक्षित, सरल और प्रभावी बनाने के लिए एक मॉड्यूलर और लचीला 'स्मार्ट पिंजरा' विकसित किया है।
परंपरागत रूप से पशुओं को ऐसे ट्रकों में ढोया जाता है, जिनमें खुले या अनुपयुक्त ढांचे होते हैं, जिनमें उचित लोडिंग की व्यवस्था नहीं होती। इससे पशुओं को गंभीर तनाव, चोटें, और कभी-कभी जानलेवा दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
इन असुरक्षित तरीकों से किसानों और परिवहनकर्ताओं को भी भारी असुविधा होती है, साथ ही पशु कल्याण नियमों का उल्लंघन भी होता है।
इस नवाचार का नेतृत्व करने वाले प्रो. संदीप एस. पाटिल के अनुसार,
"यह पिंजरा विभिन्न वाहनों के अनुसार समायोजित किया जा सकता है। इसमें एक रैंप है जो दरवाज़े के रूप में भी काम करता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से पशु बाजार तक पशुओं का सुरक्षित परिवहन आसान हो जाता है।"
यह प्रोजेक्ट DST-SEED (Science for Equity, Empowerment, and Development) द्वारा वित्तपोषित है और इसका उद्देश्य सस्ता, सुरक्षित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से डिज़ाइन किया गया समाधान प्रदान करना है।
शोधकर्ताओं ने बताया,
"यह सिर्फ एक पिंजरा नहीं, बल्कि एक 'साइंस-ड्रिवन मोबिलिटी सॉल्यूशन' है। इसमें टेलीस्कोपिक तंत्र, फोल्डेबल रैंप, और मज़बूत धातु फ्रेम शामिल हैं जो पशुओं की चोटों और तनाव को कम करते हैं और लोडिंग-लोडिंग प्रक्रिया को आसान बनाते हैं।"
प्रमुख विशेषताएं:
इस डिज़ाइन को फील्ड सर्वे, किसानों की प्रतिक्रिया और कंप्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक्स (CFD) के ज़रिए वेंटिलेशन परीक्षणों से परखा गया।
यह पिंजरा विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए मददगार है क्योंकि यह सस्ता, सरल और कानून-संगत है। यह डबल-स्टोरी डिज़ाइन में भी समायोज्य है, जिससे यह बड़े वाहनों और भारी लदान के लिए भी उपयुक्त बनता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह प्रणाली डेयरियों, गौशालाओं, पशु चिकित्सकीय कार्यों में भी इस्तेमाल की जा सकती है। यह शॉर्ट डिस्टेंस ट्रांसपोर्ट के लिए बेहद उपयोगी है और पशु-कल्याण को बढ़ावा देते हुए खर्च, श्रम और जोखिम को कम कर सकती है।