
नई दिल्ली। नए शोध में पाया गया है कि बर्ड फ्लू वायरस आमतौर पर शरीर के बुखार से रुकने के बजाय उससे भी अधिक तापमान पर अपनी प्रतिकृति (रिप्लिकेशन) बना सकते हैं, जिससे मनुष्यों के लिए खतरा बढ़ जाता है।
मानव फ्लू वायरस, जो मौसमी संक्रमण का कारण होते हैं, इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के रूप में जाने जाते हैं। हल्का-सा बुखार भी मानव-उत्पत्ति वाले फ्लू वायरस को रोकने में प्रभावी होता है—शरीर के तापमान में सिर्फ 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि एक घातक संक्रमण को मामूली बीमारी में बदल सकती है।
लेकिन कैम्ब्रिज और ग्लासगो विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने पाया कि बुखार के स्तर तक शरीर का तापमान बढ़ाने से मानव फ्लू वायरस तो रुक जाते हैं, पर बर्ड फ्लू वायरस पर इसका प्रभाव बेहद कम होता है।
मानव फ्लू वायरस के विपरीत, पक्षी-जनित इन्फ्लुएंजा वायरस आमतौर पर निचले श्वसन तंत्र में पनपते हैं। अपने प्राकृतिक मेजबानों—जैसे बत्तखों और सीगल्स—में यह वायरस अक्सर आंतों को संक्रमित करता है, जहाँ तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक होता है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ थेरेप्यूटिक इम्यूनोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिज़ीज़ के प्रोफेसर सैम विल्सन ने कहा,
“सौभाग्य से मनुष्य बर्ड फ्लू वायरस से अक्सर संक्रमित नहीं होते, लेकिन हर साल दर्जनों मामले सामने आते हैं। ऐतिहासिक H5N1 संक्रमणों में 40% से अधिक मृत्यु दर देखी गई है, जो बेहद चिंताजनक है।
यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि बर्ड फ्लू वायरस मनुष्यों में गंभीर बीमारी क्यों पैदा करते हैं—यही भविष्य की महामारी तैयारी के लिए ज़रूरी है।”
यह अध्ययन साइंस (Science) जर्नल में प्रकाशित हुआ।
शोधकर्ताओं ने जीवित मॉडल (माइस) का उपयोग कर यह समझने की कोशिश की कि बुखार मानव शरीर को कैसे सुरक्षा देता है और यह पक्षी-जनित इन्फ्लुएंजा के खिलाफ पर्याप्त क्यों नहीं हो पाता।
चूंकि चूहे स्वाभाविक रूप से इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के जवाब में बुखार नहीं विकसित करते, इसलिए वैज्ञानिकों ने उनके रहने के तापमान को बढ़ाकर बुखार जैसी स्थिति बनाई। इसके लिए उन्होंने मानव इन्फ्लुएंजा वायरस के एक सुरक्षित लैब-संस्करण PR8 का उपयोग किया।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि वायरस के PB1 जीन, जो वायरस के जीनोम की प्रतिकृति बनाने में महत्वपूर्ण होता है, तापमान-संवेदनशीलता निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाता है।
जिन वायरस में पक्षी-उत्पत्ति जैसा PB1 जीन था, वे बुखार जैसे उच्च तापमान को सहन कर पाए और चूहों में गंभीर बीमारी का कारण बने।
With inputs from IANS