नई दिल्ली (IANS): एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हर साल लगभग 8,500 टन एंटीबायोटिक्स, यानी इंसानों द्वारा खपत की जाने वाली कुल मात्रा का लगभग एक-तिहाई हिस्सा, दुनिया भर की नदियों में पहुंच रहा है। इससे न केवल दवा प्रतिरोध (एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस) बढ़ रहा है, बल्कि जलीय जीवन को भी गंभीर नुकसान हो रहा है।
कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में पहली बार मानव उपयोग से होने वाले वैश्विक नदी प्रदूषण का व्यापक अनुमान लगाया गया है।
मुख्य शोधकर्ता और मैकगिल विश्वविद्यालय की पोस्टडॉक्टोरल फेलो हेलोइसा एहल्ट मासीदो ने बताया, "हालांकि अधिकांश नदियों में इन एंटीबायोटिक्स की मात्रा बहुत कम होती है और इन्हें पहचानना मुश्किल होता है, लेकिन लंबे समय तक और लगातार इनका संपर्क मानव स्वास्थ्य और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा बन सकता है।"
यह अध्ययन प्रतिष्ठित शोध पत्रिका PNAS Nexus में प्रकाशित हुआ है। इसमें शोधकर्ताओं ने लगभग 900 नदी स्थलों से एकत्र आंकड़ों पर आधारित एक वैश्विक मॉडल का उपयोग किया।
अध्ययन में पाया गया कि दुनिया में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक एमॉक्सिसिलिन सबसे अधिक जोखिम स्तर पर नदियों में पाई जाती है। यह खतरा विशेष रूप से दक्षिण-पूर्वी एशिया में अधिक है, जहां एंटीबायोटिक्स के बढ़ते उपयोग और सीमित सीवेज ट्रीटमेंट की समस्या है।
मैकगिल विश्वविद्यालय के वैश्विक जल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर बर्नहार्ड लेहनेर ने कहा, "हालांकि एंटीबायोटिक्स स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इसके अनपेक्षित दुष्प्रभाव जलीय पारिस्थितिक तंत्र और दवा प्रतिरोध के रूप में सामने आ रहे हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियों और प्रबंधन की आवश्यकता है।"
गौर करने योग्य बात यह है कि इस अध्ययन में पशुपालन या औषधि निर्माण इकाइयों से निकलने वाले एंटीबायोटिक्स को शामिल नहीं किया गया, जो कि पर्यावरण प्रदूषण के बड़े स्रोत हैं।
मैकगिल विश्वविद्यालय के पर्यावरण इंजीनियरिंग प्रोफेसर जिम नाइसिल ने कहा, "हमारे निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि केवल मानव उपभोग से होने वाला एंटीबायोटिक प्रदूषण ही एक गंभीर समस्या है। अगर पशु चिकित्सा और उद्योगों से जुड़े स्रोतों को भी जोड़ा जाए, तो यह संकट और भी गहरा हो सकता है।"
शोधकर्ताओं ने नदियों और जल स्रोतों में एंटीबायोटिक्स और अन्य रासायनिक प्रदूषण की निगरानी के लिए सुदृढ़ निगरानी कार्यक्रमों की मांग की है।