
नई दिल्ली — भारतीय रेलवे ने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के रूट किलोमीटर (RKms) क्षेत्रों में पटरियों पर हाथियों की मौजूदगी का पता लगाने और टक्कर रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम तैनात किया है। यह जानकारी सरकार ने शुक्रवार को दी।
रेलवे, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय रेलवे ने एआई-आधारित इंट्रूज़न डिटेक्शन को तेजी से विस्तार देने के लिए 981 आरकेएम के लिए नए टेंडर भी जारी किए हैं।
यह एआई प्रणाली डिस्ट्रिब्यूटेड अकॉस्टिक सिस्टम का उपयोग करती है, जिससे पटरियों पर हाथियों की मौजूदगी का पता चलता है और हाथियों की गतिविधि को लेकर लोको पायलट, स्टेशन मास्टर और कंट्रोल रूम को रियल-टाइम अलर्ट भेजे जाते हैं। इससे समय रहते रोकथाम की कार्रवाई की जा सकेगी और वन्यजीवों की अनावश्यक मौतें बचाई जा सकेंगी।
पूर्व और मध्य भारत के राज्यों—जैसे असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा—में हाथियों के रेलगाड़ियों से टकराने की घटनाएं आम हैं, क्योंकि रेलवे ट्रैक महत्वपूर्ण जंगल गलियारों से गुजरते हैं। यह नई प्रणाली भविष्य में ऐसी कई दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगी।
रेल मंत्रालय के अनुसार, सिग्नलिंग सिस्टम के एआई संचालित प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस से जुड़े पायलट प्रोजेक्ट भी कुछ स्टेशनों पर चल रहे हैं, ताकि उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके। इन परीक्षणों से स्टैंडर्ड फेल्योर और प्रेडिक्शन लॉजिक तथा अलर्ट सिस्टम के मापनीय परिणाम प्राप्त किए जाएंगे।
जुलाई 2025 में भारतीय रेलवे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) के बीच वे-साइड मशीन विज़न-बेस्ड इंस्पेक्शन सिस्टम (MVIS) को शामिल करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह एआई/एमएल-आधारित प्रणाली है, जो चलते ट्रेनों में लटके हुए हिस्सों या गायब कंपोनेंट्स का पता लगाने में सक्षम है।
इसके अलावा, भारतीय रेलवे और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के बीच ऑटोमैटिक व्हील प्रोफाइल मेज़रमेंट सिस्टम (AWPMS) को शामिल करने के लिए भी एक MoU पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह प्रणाली ट्रेन के पहियों की प्रोफाइल का बिना स्पर्श किए स्वचालित मापन करने में सक्षम है और पहिए की ज्योमेट्री और घिसावट की रियल-टाइम जानकारी प्रदान करती है।
With inputs from IANS