
नई दिल्ली- सरकार ने जानकारी दी है कि भारतीय रेल की माल ढुलाई 2020-21 के 1,233 मिलियन टन (एमटी) से बढ़कर 2024-25 में 1,617 एमटी हो गई है। इस बढ़ोतरी के साथ भारतीय रेल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी माल ढोने वाली रेल नेटवर्क बन गई है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इनपुट लागत बढ़ने के बावजूद 2018 से अब तक मालभाड़ा दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है, ताकि रेल माल परिवहन दरें प्रतिस्पर्धी बनी रहें।
लोकसभा में जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा, “1 जुलाई 2025 से यात्री किराए को तार्किक बनाया गया है। पांच वर्षों से अधिक के अंतराल के बाद किराए में बहुत मामूली बढ़ोतरी की गई है, जो आधा पैसा प्रति किमी से लेकर प्रीमियम क्लास के लिए दो पैसे प्रति किमी तक है।”
यात्री किराए को सुलभ रखने के लिए किए गए प्रमुख उपायों में शामिल हैं:
जनरल क्लास में 500 किमी तक कोई वृद्धि नहीं; उसके बाद प्रति यात्री प्रति किमी आधा पैसा की बढ़ोतरी।
स्लीपर क्लास ऑर्डिनरी और फर्स्ट-क्लास ऑर्डिनरी में प्रति यात्री प्रति किमी आधा पैसा की वृद्धि।
मेल/एक्सप्रेस की नॉन-एसी क्लास में प्रति यात्री प्रति किमी 1 पैसा की वृद्धि।
आरक्षित एसी क्लास में प्रति यात्री प्रति किमी 2 पैसा की वृद्धि।
निम्न और मध्यम आय वर्ग की वहन क्षमता को ध्यान में रखते हुए, मासिक सीजन टिकट (MST) और उपनगरीय यात्रा के किराए में कोई संशोधन नहीं किया गया है।
भारतीय रेल ने माल ढुलाई और राजस्व बढ़ाने के लिए कई कदम भी उठाए हैं। इनमें शामिल हैं:
नेटवर्क क्षमता बढ़ाने के लिए नई लाइनों का निर्माण, मौजूदा लाइनों का मल्टी-ट्रैकिंग और गेज परिवर्तन बड़े स्तर पर किया जा रहा है।
मंत्री के अनुसार, 01.04.2025 तक कुल 431 परियोजनाएँ (154 नई लाइनें, 33 गेज परिवर्तन, और 244 डबलिंग) स्वीकृत हैं।
ब्रॉड गेज (BG) नेटवर्क का लगभग 99.1 प्रतिशत विद्युतीकरण किया जा चुका है।
माल ढुलाई क्षमता बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में वैगन और लोकोमोटिव खरीदे गए हैं। 2014 से 2025 के बीच लगभग 2 लाख वैगन और 10,000 से अधिक लोकोमोटिव जोड़े गए हैं।
With inputs from IANS