
नई दिल्ली — विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को संसद में सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (शांति) विधेयक, 2025 पेश किया। यह विधेयक देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी को खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2047 तक भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता को 100 गीगावॉट (GW) तक पहुंचाना है।
प्रस्तावित कानून के तहत परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को निरस्त कर, उनकी जगह एक व्यापक और समेकित कानून लाने का प्रस्ताव है, जो भारत की वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
विधेयक के साथ प्रस्तुत उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, निरंतर अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से भारत ने परमाणु ईंधन चक्र में आत्मनिर्भरता हासिल की है और अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जिम्मेदारी के साथ संचालन किया है। इस अनुभव के आधार पर सरकार का मानना है कि स्वच्छ ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और डेटा सेंटर जैसे उभरते क्षेत्रों तथा भविष्य की आवश्यकताओं के लिए चौबीसों घंटे विश्वसनीय बिजली उपलब्ध कराने हेतु परमाणु ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है।
यह विधेयक भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों से भी सीधे जुड़ा है। इसमें 2070 तक डीकार्बोनाइजेशन के रोडमैप का उल्लेख किया गया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विधेयक स्वदेशी परमाणु संसाधनों के अधिकतम उपयोग, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी, तथा भारत को वैश्विक परमाणु ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में एक योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करने पर जोर देता है।
परिचालन स्तर पर, विधेयक परमाणु ऊर्जा के उत्पादन या उपयोग से जुड़े निर्दिष्ट व्यक्तियों के लिए लाइसेंसिंग और सुरक्षा प्राधिकरण से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करता है, साथ ही लाइसेंस के निलंबन या निरस्तीकरण के आधार भी तय करता है। आधिकारिक बयान के अनुसार, यह स्वास्थ्य, खाद्य एवं कृषि, उद्योग और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में परमाणु और विकिरण प्रौद्योगिकियों के उपयोग को विनियमित करने का प्रस्ताव करता है, जबकि अनुसंधान, विकास और नवाचार गतिविधियों को लाइसेंसिंग से छूट दी गई है।
विधेयक में परमाणु क्षति के लिए एक संशोधित और व्यावहारिक नागरिक दायित्व ढांचा प्रस्तावित किया गया है, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड को वैधानिक दर्जा देने की बात कही गई है, तथा सुरक्षा, संरक्षा, सेफगार्ड्स, गुणवत्ता आश्वासन और आपातकालीन तैयारी से जुड़े तंत्रों को मजबूत किया गया है। इसके साथ ही नए संस्थागत प्रबंधों का भी प्रावधान है, जिनमें परमाणु ऊर्जा प्रतितोष सलाहकार परिषद, दावा आयुक्तों की नियुक्ति, और गंभीर परमाणु क्षति के मामलों के लिए परमाणु क्षति दावा आयोग का गठन शामिल है। ऐसे मामलों में विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण को अपीलीय प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है।
इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने भारत के ऊर्जा संक्रमण, तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप परमाणु शासन को आधुनिक बनाने का अपना इरादा स्पष्ट किया है। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य सुरक्षा, जवाबदेही और जनहित के साथ परमाणु ऊर्जा के विस्तार के बीच संतुलन स्थापित करना है, ताकि ऊर्जा सुरक्षा और कम-कार्बन भविष्य की राष्ट्रीय कोशिशों को मजबूती मिल सके।
With inputs from IANS