दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ते कोविड मामलों को विशेषज्ञों ने बताया मौसमी फ्लू का प्रभावBy Admin Tue, 20 May 2025 11:09 AM

नई दिल्ली: दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड-19 मामलों में वृद्धि को लेकर मीडिया में आई खबरों के बीच, जिसने लोगों में एक बार फिर चिंता की लहर पैदा कर दी है, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस स्थिति को मौसमी फ्लू की सामान्य प्रवृत्ति बताया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंगापुर में साप्ताहिक कोविड संक्रमण मामलों में अप्रैल के अंत में 11,100 से बढ़कर मई के पहले सप्ताह में 14,200 हो गए, जो लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि है। इसी अवधि में अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में भी 30 प्रतिशत इज़ाफा हुआ।

हांगकांग में 3 मई को समाप्त सप्ताह में 31 कोविड से संबंधित मौतें दर्ज की गईं, जो पिछले एक साल में सबसे अधिक हैं। वहीं, 10 मई को समाप्त सप्ताह में नए संक्रमण 1,042 तक पहुँच गए, जो कि एक सप्ताह पहले 972 थे।

एम्स, नई दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर साल्वे ने कहा, “दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड मामलों में बढ़ोतरी को फ्लू के मौसमी रुझानों से जोड़ा जा सकता है। अधिकांश मामले हल्के हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है।”

भारत में भी कोविड मामलों में मामूली बढ़ोतरी देखी जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को आयोजित समीक्षा बैठक में कहा गया कि भारत में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। 19 मई तक देशभर में केवल 257 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं।

केरल स्टेट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रिसर्च सेल के संयोजक डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा, “कोविड-19 एक चक्रीय रोग है, जिसके मामले हर कुछ महीनों में बढ़ते हैं। यह चक्र आमतौर पर छह से नौ महीनों के अंतराल पर होता है। भारत में भी कुछ मामले देखे जा रहे हैं, लेकिन वे न गंभीर हैं और न ही अस्पतालों को प्रभावित कर रहे हैं। अधिकांश मरीजों का इलाज बाह्य रोगी के रूप में हो रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “पहले हुए संक्रमणों और टीकाकरण के कारण विकसित हुई व्यापक प्रतिरक्षा के चलते अब कोविड-19 उतना खतरनाक नहीं रहा। अभी तक वायरस में कोई बड़ा आनुवंशिक बदलाव भी नहीं देखा गया है, जो इसके व्यवहार को बदल सके।”

चीन और थाईलैंड में भी कोविड मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह वृद्धि मुख्य रूप से ओमिक्रॉन के नए सबवैरिएंट्स, जैसे JN.1 और उससे जुड़े रूपों — LF.7 और NB.1.8 — के प्रसार से जुड़ी मानी जा रही है, जो वर्तमान में अधिकांश मामलों में पाए जा रहे हैं।

मामलों में बढ़ोतरी का एक कारण घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता भी हो सकता है, जिससे समय-समय पर लहरें आना अपेक्षित है।

हालांकि अब तक दर्ज अधिकतर मामले हल्के हैं, लेकिन डॉ. जयदेवन ने चेताया कि, “किसी भी वायरस का प्रभाव उस व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है। जैसे कि अगर संक्रमण बुज़ुर्ग या दुर्बल व्यक्ति को होता है, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं।”

विशेषज्ञों ने खांसी शिष्टाचार और स्वच्छता बनाए रखने की अपील की है।

डॉ. जयदेवन ने कहा, “जब मामलों में वृद्धि हो रही हो, तब सामान्य से अधिक सावधानी बरतना ज़रूरी है। बंद और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनना मददगार होगा। जिन लोगों को बुखार हो, उन्हें घर पर रहना चाहिए और दूसरों से दूरी बनानी चाहिए।”

इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने आश्वस्त किया है कि देश में कोविड समेत सभी श्वसन संबंधी वायरस संक्रमणों की निगरानी के लिए एक मजबूत व्यवस्था मौजूद है, जो एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) और ICMR के माध्यम से संचालित हो रही है।

 

With inputs from IANS