वैज्ञानिकों ने ऐसे कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किए जो मनुष्यों को नज़दीकी इन्फ्रारेड रोशनी देखने में सक्षम बनाते हैंBy Admin Sat, 24 May 2025 03:50 AM

नई दिल्ली: चीनी वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने ऐसे क्रांतिकारी कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किए हैं जो मनुष्यों को नज़दीकी इन्फ्रारेड (near-infrared) रोशनी देखने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह खोज चिकित्सा इमेजिंग और दृष्टि सहायता तकनीकों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

यह अध्ययन प्रतिष्ठित जर्नल सेल में गुरुवार को प्रकाशित हुआ, जिसमें बताया गया है कि कैसे विजुअल न्यूरोसाइंस और रेयर अर्थ तत्वों (rare earth elements) को मिलाकर ऐसे पारदर्शी और पहनने योग्य लेंस बनाए गए हैं जो अदृश्य इन्फ्रारेड रोशनी को दृश्यमान छवियों में बदलते हैं। यह रिपोर्ट शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने दी।

मानव आंख केवल 400 से 700 नैनोमीटर की तरंगदैर्ध्य वाली रोशनी को देख सकती है, जिससे प्रकृति की बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी हमसे छिपी रह जाती है।

700 से 2,500 नैनोमीटर तक की तरंगदैर्ध्य वाली नज़दीकी इन्फ्रारेड रोशनी जैविक ऊतकों (tissues) में गहराई तक प्रवेश कर सकती है और वह भी बिना किसी गंभीर विकिरण (radiation) क्षति के।

चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, फुदान यूनिवर्सिटी और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने तीन अलग-अलग इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य को लाल, हरे और नीले दृश्यमान प्रकाश में बदलने वाले रेयर अर्थ तत्वों को डिज़ाइन किया है।

इससे पहले, इसी टीम ने एक नैनोमैटेरियल विकसित किया था जिसे जब जानवरों की रेटिना में इंजेक्ट किया गया, तो उन्होंने इन्फ्रारेड रोशनी को स्वाभाविक रूप से देखना शुरू कर दिया। लेकिन चूंकि मानवों के लिए रेटिना इंजेक्शन व्यावहारिक नहीं है, इसलिए उन्होंने एक पहनने योग्य और गैर-आक्रामक विकल्प – सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस – विकसित करने पर काम शुरू किया।

अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने रेयर अर्थ नैनोपार्टिकल्स की सतह को इस तरह से संशोधित किया कि उन्हें पॉलिमर सॉल्यूशन में मिलाया जा सके और अंततः अत्यंत पारदर्शी कॉन्टैक्ट लेंस तैयार किए जा सकें।

मानव स्वयंसेवकों ने जब ये लेंस पहने तो वे इन्फ्रारेड पैटर्न, टाइम कोड्स और यहां तक कि तीन अलग-अलग "रंगों" की इन्फ्रारेड रोशनी को भी पहचान सके — यानी उनकी दृष्टि-सीमा प्राकृतिक सीमाओं से आगे बढ़ गई।

यह गैर-आक्रामक तकनीक चिकित्सा इमेजिंग, सूचना सुरक्षा, आपदा राहत कार्यों और रंग अंधता (color blindness) के इलाज जैसे क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है।

रात्रि दृष्टि चश्मों के विपरीत, ये लेंस कोहरे या धूल जैसे कम दृश्यता वाले हालात में भी बिना किसी विद्युत स्रोत के कार्य करते हैं और अधिक स्वाभाविक दृश्य अनुभव प्रदान करते हैं।

हालांकि यह तकनीक अभी प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट के चरण में है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में यह दृष्टि समस्याओं से ग्रस्त लोगों की मदद कर सकती है और मनुष्यों की अदृश्य प्रकाश स्पेक्ट्रम के साथ बातचीत करने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकती है।

 

With inputs from IANS