नई दिल्ली: मारुति सुज़ुकी और होंडा कार्स इंडिया ने जापान में कार निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जो विकसित देशों में भारत निर्मित वाहनों की गुणवत्ता और स्वीकार्यता में सुधार को दर्शाता है।
भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ (SIAM) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों (अप्रैल से दिसंबर) में भारत से जापान को कारों का निर्यात $616.45 मिलियन तक पहुंच गया, जो 2023-24 के पूरे वित्तीय वर्ष में हुए $220.62 मिलियन के निर्यात के मुकाबले लगभग तीन गुना है।
मारुति सुज़ुकी इंडिया, जापान को अपने लोकप्रिय ऑफ-रोड एसयूवी जिम्नी के निर्यात में सबसे बड़ा योगदान दे रही है। फिलहाल मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका, इस वाहन के शीर्ष चार निर्यात बाजारों में शामिल हैं।
जिम्नी, मारुति द्वारा अपने जापानी मूल कंपनी को निर्यात किया जाने वाला दूसरा एसयूवी मॉडल है। इससे पहले फ्रॉन्क्स (Fronx) एसयूवी का भी निर्यात गुजरात स्थित संयंत्र से जापान को किया गया था, जिसे राज्य के पिपावाव बंदरगाह से रवाना किया जाता है।
मारुति ने जून 2023 में भारत में जिम्नी लॉन्च की थी और अक्टूबर 2023 से इसे लैटिन अमेरिका, मिडल ईस्ट और अफ्रीका के देशों को निर्यात करना शुरू किया। 2023-24 में इस पांच-दरवाजों वाली एसयूवी के 22,000 से अधिक यूनिट्स निर्यात किए गए, जबकि 2024-25 के पहले नौ महीनों में ही 38,000 से अधिक यूनिट्स का निर्यात हो चुका है।
होंडा कार्स इंडिया ने 2024-25 के पहले नौ महीनों में 45,167 यूनिट्स अपनी एसयूवी एलीवेट (Elevate) के जापान को निर्यात किए हैं, जो कि भारत में इसकी कुल बिक्री से दोगुनी है। इस कार को मार्च के तीसरे सप्ताह में जापान में Honda WR-V के नाम से लॉन्च किया गया, और यह होंडा की पहली मेड-इन-इंडिया कार है जिसे कंपनी ने जापानी बाजार में पेश किया है।
भारत में WR-V ब्रांड को 2023 में बंद कर दिया गया था, लेकिन वैश्विक बाजार में यह नाम अब भी उपयोग में है। इसके निर्यात की शुरुआत दिसंबर-जनवरी में हुई थी और मार्च में आधिकारिक लॉन्च किया गया।
दोपहिया वाहनों की बात करें तो Yamaha India की योजना है कि वह अपनी प्रीमियम R15 बाइक को भी जापान निर्यात करे, क्योंकि भारत में निर्माण लागत अपेक्षाकृत कम है। यह भारत को उन्नत देशों के लिए भी एक संभावित ऑटो मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में प्रस्तुत करता है।
कुल मिलाकर, 2022-23 में भारत से कारों का निर्यात 15 प्रतिशत बढ़कर 7,70,364 वाहनों तक पहुंच गया, जबकि घरेलू बिक्री में सिर्फ 2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। अब कॉम्पैक्ट एसयूवी निर्यात का 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बन चुकी हैं, और मिड-साइज कारों व यूटिलिटी व्हीकल्स की भी वैश्विक मांग तेजी से बढ़ रही है।
SIAM की रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग जगत का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में निर्यात हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत तक पहुंचाया जाए।
यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ वार्षिक प्रदर्शन रहा है, जो भारत में निर्मित ग्लोबल मॉडल्स की मांग के चलते संभव हुआ है। SIAM ने कहा कि निर्माण गुणवत्ता में सुधार के साथ अब कुछ कंपनियां विकसित बाजारों में भी निर्यात करना शुरू कर चुकी हैं।
With inputs from IANS