नई दिल्ली — भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आगामी एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) के तहत अंतरिक्ष में खाद्य और पोषण संबंधी विशेष प्रयोग करेंगे। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को दी।
ये प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के संयुक्त प्रयास से तैयार किए गए हैं, जिनमें नासा (NASA) का भी सहयोग है। इनका उद्देश्य दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों के लिए आवश्यक स्पेस न्यूट्रिशन और स्व-निर्भर जीवन समर्थन प्रणालियों को विकसित करना है।
डॉ. सिंह के अनुसार, पहला प्रयोग खाद्य योग्यता वाले सूक्ष्म शैवाल (microalgae) पर केंद्रित होगा, जिसमें माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष विकिरण का प्रभाव देखा जाएगा। यह अध्ययन पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में इन शैवालों की वृद्धि, उनके जीन अभिव्यक्ति (transcriptomes), प्रोटीन संरचना (proteomes) और चयापचय (metabolomes) में होने वाले बदलावों का विश्लेषण करेगा।
उन्होंने कहा कि यह प्रयोग आत्मनिर्भर भारत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इन प्रयोगों के लिए उपयोग की जा रही बायोटेक्नोलॉजी किट पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित की गई हैं, जिन्हें भारतीय वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से माइक्रोग्रैविटी परिस्थितियों के लिए डिजाइन और प्रमाणित किया है।
डॉ. सिंह ने बताया, “माइक्रोएल्गी तेजी से बढ़ते हैं, उच्च प्रोटीन युक्त बायोमास का उत्पादन करते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं — जिससे ये अंतरिक्ष में सतत पोषण और क्लोज्ड-लूप लाइफ सपोर्ट सिस्टम के लिए आदर्श हैं।”
दूसरे प्रयोग में सायनोबैक्टीरिया जैसे स्पाइरुलीना और साइनकोकोकस की माइक्रोग्रैविटी में वृद्धि और प्रोटियोमिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाएगा। इस प्रयोग में मानव अपशिष्ट से प्राप्त यूरिया और नाइट्रेट आधारित माध्यमों का उपयोग कर यह परखा जाएगा कि क्या स्पाइरुलीना को अंतरिक्ष में “सुपरफूड” के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
इस प्रयोग का उद्देश्य यह जानना है कि क्या मानव अपशिष्ट से प्राप्त नाइट्रोजन स्रोतों का उपयोग कर अंतरिक्ष में आवश्यक भोजन का उत्पादन संभव है, और साथ ही माइक्रोग्रैविटी में इन जीवों की कोशिका चयापचय और जैविक दक्षता कैसे प्रभावित होती है।
डॉ. सिंह ने कहा, “ये सूक्ष्म जीव अंतरिक्ष यान और भविष्य की अंतरिक्ष बस्तियों में कार्बन और नाइट्रोजन पुनर्चक्रण के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।”
शुभांशु शुक्ला भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्रियों की टीम का हिस्सा हैं, जिनके बैकअप के रूप में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर तैनात हैं।
Ax-4 मिशन, जिसे Axiom Space द्वारा प्रबंधित किया जा रहा है और SpaceX Falcon 9 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा, भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जहां पहली बार भारतीय वैज्ञानिक-अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जीवविज्ञान संबंधी प्रयोग करेंगे।
With inputs from IANS