नई दिल्ली (IANS) : जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक नया, किफायती और धातु रहित (मेटल-फ्री) छिद्रयुक्त जैविक उत्प्रेरक (ऑर्गेनिक कैटेलिस्ट) विकसित किया है, जो मैकेनिकल ऊर्जा का उपयोग कर कुशलतापूर्वक हाइड्रोजन (H₂) उत्पादन में सक्षम है।
यह अनुसंधान संस्थान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है।
वैज्ञानिकों ने डोनर-एक्सेप्टर आधारित कोवेलेंट-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (COF) विकसित किया है, जिसका उपयोग पाईज़ोकैटलिटिक वॉटर स्प्लिटिंग के लिए किया गया है।
पाईज़ोकैटलिसिस एक उभरती हुई तकनीक है, जिसमें पाईज़ोइलेक्ट्रिक पदार्थों के माध्यम से यांत्रिक दबाव (मैकेनिकल पर्टर्बेशन) को चार्ज कैरियर्स में बदला जाता है, जो जल विभाजन (वॉटर स्प्लिटिंग) को उत्प्रेरित करते हैं।
‘एडवांस्ड फंक्शनल मैटेरियल्स’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने डोनर अणु TAPA (tris(4-aminophenyl) amine) और एक्सेप्टर अणु PDA (pyromellitic dianhydride) के बीच इमाइड लिंक से बना COF तैयार किया है, जिसमें फेरीइलेक्ट्रिक (FiE) ऑर्डरिंग पाई गई, जो जल विभाजन से हाइड्रोजन उत्पादन के लिए प्रभावी पाईज़ोकैटलिटिक क्रिया प्रदर्शित करता है।
प्रोफेसर तपस के. माजी के नेतृत्व में काम कर रही टीम ने बताया कि यह खोज भारी धातु या ट्रांज़िशन मेटल-आधारित पारंपरिक फेरीइलेक्ट्रिक पदार्थों के उपयोग की अवधारणा को चुनौती देती है, जिन्हें आमतौर पर पाईज़ोकैटलिस्ट के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है।
पारंपरिक फेरीइलेक्ट्रिक पदार्थों में चार्ज सीमित रूप से सतह पर जमा होता है, जिससे उनकी उत्प्रेरक क्षमता जल्दी संतृप्त हो जाती है।
वहीं, TAPA और PDA जैसे सरल अणुओं से बना यह COF सिस्टम मजबूत चार्ज ट्रांसफर क्षमता रखता है, जिससे डायपोल (धनात्मक और ऋणात्मक चार्ज का अलगाव) उत्पन्न होता है।
TAPA अणु की प्रोपेलर जैसी बनावट, इसकी बेंजीन रिंग्स को घुमाकर संरचना की सपाटता तोड़ती है और एक स्थिर, कम ऊर्जा अवस्था प्राप्त करती है।
सैद्धांतिक विश्लेषणों से यह भी पता चला कि COF की इलेक्ट्रॉनिक संरचना असामान्य है, जिसमें ऊर्जा बैंड्स एक-दूसरे के साथ डायपोल ऑर्डरिंग के ज़रिए युग्मित और गूंजते (रेजोनेंस करते) हैं। यह संरचना में अस्थिरता लाता है और फेरीइलेक्ट्रिक ऑर्डरिंग को जन्म देता है।
ये फेरीइलेक्ट्रिक डिपोल्स पदार्थ के मोलिक्यूलर मूवमेंट के साथ जुड़कर इसे मैकेनिकल दबाव के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं।
प्रोफेसर माजी की टीम ने कहा कि मेटल-फ्री, किफायती प्रणाली का उपयोग करते हुए मैकेनिकल ऊर्जा से हाइड्रोजन उत्पादन का यह नया तरीका हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन निर्माण के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोलता है।