
इस्लामाबाद (IANS): पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा है कि यदि भारत सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित रखने और पाकिस्तान का पानी मोड़ने की कोशिश करता है, तो भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्षविराम खतरे में पड़ सकता है। यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के स्तर पर पहली बार हॉटलाइन के माध्यम से सीधे संवाद में संघर्षविराम जारी रखने पर सहमति बनी है।
सीएनएन से बातचीत में इशाक डार ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का स्वागत है, लेकिन दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के क्षेत्रों में किए गए सैन्य अभियानों के बाद अब पानी का मसला जल्द सुलझाया जाना आवश्यक है।”
उन्होंने आगाह किया कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि को बहाल नहीं किया, तो संघर्षविराम की स्थायित्व पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।
डार ने कहा, “पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस संधि से छेड़छाड़ की गई, पानी मोड़ा गया या रोका गया, तो इसे युद्ध की कार्यवाही माना जाएगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा, “हम चाहते हैं कि यह प्रक्रिया गरिमा और सम्मान के साथ आगे बढ़े। एक समग्र संवाद के ज़रिए दोनों देशों को उन मुद्दों का हल निकालना चाहिए, जिससे इस क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।”
भारत ने यह संधि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद निलंबित कर दी थी, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी।
इसके बाद भारत ने कई सख्त कदम उठाए — पाकिस्तान के साथ व्यापार और सीमा बंद कर दी, नई दिल्ली में पाक उच्चायोग के कई राजनयिकों को निष्कासित किया, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा निलंबित कर दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में साफ शब्दों में कहा कि आने वाले दिनों में उनकी सरकार पाकिस्तान के हर कदम की कड़ी निगरानी करेगी और इसका मूल्यांकन इस आधार पर किया जाएगा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर कैसा रुख अपनाता है।
मोदी ने दो टूक कहा, “जिस तरह पाक सेना और सरकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है, वह एक दिन पाकिस्तान को खुद तबाह कर देगा। अगर पाकिस्तान को बचना है, तो उसे अपने आतंकवादी ढांचे को खत्म करना होगा। शांति का कोई और रास्ता नहीं है। भारत का रुख स्पष्ट है – आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते… आतंकवाद और व्यापार साथ नहीं चल सकते… और पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”
भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर की पहली सीधी बातचीत के बाद अब यह देखना अहम होगा कि अगले चरण की बातचीत में किन मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है।
स्मरण रहे, सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित हुई थी, जो दोनों देशों के बीच छह नदियों — सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज — के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है।