टैरिफ युद्ध को लेकर ट्रंप प्रशासन में ‘गहरा मतभेद’, फिर भी आगे बढ़े राष्ट्रपति: चीफ ऑफ स्टाफ सूज़ी वाइल्सBy Admin Wed, 17 December 2025 05:48 AM

न्यूयॉर्क- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध को लेकर उनके प्रशासन के भीतर “गंभीर मतभेद” थे, लेकिन इसके बावजूद वह अपने फैसले पर आगे बढ़ गए। यह खुलासा उनकी चीफ ऑफ स्टाफ सूज़ी वाइल्स ने किया है। उन्होंने कहा कि न तो वह खुद और न ही उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, ट्रंप को इस कदम से रोक सके।

वैनिटी फेयर पत्रिका को दिए गए स्पष्ट और बेबाक साक्षात्कारों में वाइल्स ने कहा कि टैरिफ युद्ध की योजना अच्छी तरह से तैयार नहीं थी। ट्रंप का यह दावा कि टैरिफ से देश का खजाना भर जाएगा और इसका बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा, दरअसल “खुले तौर पर सोची गई बातें” थीं।

उन्होंने स्वीकार किया कि इसका असर उम्मीद से कहीं ज्यादा “दर्दनाक” साबित हुआ।

वाइल्स के अनुसार, ट्रंप के सलाहकारों के बीच इस बात पर बड़ा मतभेद था कि टैरिफ लगाना सही कदम है या नहीं, लेकिन राष्ट्रपति ने अंततः इसे लागू करने का फैसला किया।

2 अप्रैल को, जिसे ट्रंप ने “लिबरेशन डे” कहा, 10 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक के टैरिफ की घोषणा से पहले वाइल्स ने उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ मिलकर इसे टालने की कोशिश की।

उन्होंने पत्रिका को बताया, “हमने डोनाल्ड ट्रंप से कहा था कि आज टैरिफ पर बात न करें। जब पूरी टीम एकजुट हो जाए, तब इस पर आगे बढ़ें।”

लेकिन ट्रंप ने इस सलाह को नजरअंदाज करते हुए तथाकथित ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लागू कर दिए। बाद में जब शेयर बाजार धड़ाम हो गया और बॉन्ड बाजार में भी गिरावट आई, तब उन्होंने 90 दिनों के लिए इस पर रोक लगा दी।

पत्रिका के अनुसार, कुछ लोगों को टैरिफ एक रामबाण उपाय लग रहा था, जबकि अन्य इसे पूरी तरह से विनाशकारी मान रहे थे।

हालांकि, इसके बाद ट्रंप फिर से टैरिफ के साथ लौटे और भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया। इसके अलावा रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ भी लगाया गया।

प्रशासन के भीतर एक और बड़ा विभाजन टैरिफ को लेकर था। एक धड़ा ‘मर्केंटिलिस्ट’ था, जो इस बात पर केंद्रित था कि टैरिफ से खजाने को कितना फायदा होगा, जबकि दूसरा धड़ा ‘भू-रणनीतिक’ था, जो इसके राजनीतिक और कूटनीतिक परिणामों को लेकर चिंतित था।

भारत के मामले में, ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो, ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट और वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत की कड़ी आलोचना की और टैरिफ टकराव को बढ़ावा दिया। वहीं, रक्षा सचिव पीट हेगसेथ और विदेश मंत्री मार्को रुबियो के विभागों ने चीन के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ रक्षा और कूटनीतिक सहयोग जारी रखा।

वैनिटी फेयर के अनुसार, वाइल्स का मानना है कि अंततः टैरिफ के मुद्दे पर कोई बीच का रास्ता सफल होगा।

एक चीफ ऑफ स्टाफ और कैबिनेट सदस्य द्वारा कई महीनों में लिए गए 11 साक्षात्कारों में नीतियों और व्यक्तियों पर इस तरह की खुली टिप्पणियां असामान्य मानी जा रही हैं।

हालांकि, वाइल्स ने लेखों में दिए गए उद्धरणों की सटीकता पर सवाल नहीं उठाया, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उनके बयानों को पूरे संदर्भ में पेश नहीं किया गया और उनका उद्देश्य ट्रंप और उनके प्रशासन को “बेहद अराजक और नकारात्मक” दिखाना था।

ट्रंप द्वारा तीसरे कार्यकाल के संकेतों पर भी वाइल्स ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह “100 प्रतिशत” फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनके अनुसार, ट्रंप इस बारे में केवल मजाक कर रहे हैं और “लोगों को परेशान करने के लिए” ऐसा कह रहे हैं।

वाइल्स ने अरबपति उद्योगपति एलन मस्क पर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने मस्क को “अजीब, बहुत अजीब इंसान” बताया और कहा कि वह मानसिक प्रभाव डालने वाली दवा केटामाइन का उपयोग करते हैं।

उन्होंने कहा कि वह उस समय “हैरान” रह गई थीं, जब मस्क ने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसी यूएसएआईडी को अचानक बंद कर दिया, जबकि वह “बहुत अच्छा काम” कर रही थी।

उन्होंने कहा, “कोई भी समझदार व्यक्ति यह नहीं सोच सकता कि यूएसएआईडी को बंद करने की प्रक्रिया सही थी।”

वाइल्स ने यह भी बताया कि उन्होंने 6 जनवरी 2021 को कैपिटल पर हुए हिंसक हमले के दोषियों को माफी देने से ट्रंप को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन राष्ट्रपति ने उनकी बात नहीं मानी और दोषियों को माफ कर दिया।

उन्होंने कहा कि उन्होंने ट्रंप को उनके राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई को सीमित करने की भी कोशिश की थी।

वाइल्स के अनुसार, “हमारे बीच एक ढीला-ढाला समझौता था कि पहले 90 दिनों के बाद बदले की राजनीति खत्म कर दी जाएगी।”

हालांकि, कुछ मामलों में यह बदले की कार्रवाइयां तय समय सीमा के बाद भी जारी रहीं।

उन्होंने स्वीकार किया कि कई बार प्रतिशोध का “कुछ तत्व” हो सकता है और कहा, “इसमें उन्हें कौन दोष देगा? मैं नहीं।”

 

With inputs from IANS