वैश्विक अनिश्चितता के दौर में बुद्ध का मध्य मार्ग अत्यंत प्रासंगिक: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहाBy Admin Thu, 15 May 2025 07:32 AM

संयुक्त राष्ट्र (IANS): वैश्विक अनिश्चितता के इस समय में भगवान बुद्ध का ‘मध्य मार्ग’ का सिद्धांत अत्यंत प्रासंगिक है। यह बात संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने 'वेसाक दिवस' के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही।

उन्होंने कहा, “भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज के अस्थिर समय में हमारे लिए मार्गदर्शक बन सकती हैं। उनका संयम और संतुलन का सिद्धांत — यानी मध्य मार्ग — आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। बुद्ध की शिक्षाएं, जो सरल होते हुए भी गहन हैं, हमें भेदभाव से ऊपर उठकर करुणा और मैत्री के सार्वभौमिक बंधन को अपनाने की प्रेरणा देती हैं।”

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) कक्ष में 'अंतर्राष्ट्रीय वेसाक दिवस 2025' के अवसर पर भिक्षुओं और भिक्षुणियों के केसरिया और सफेद वस्त्रों में सामूहिक मंत्रोच्चारण की गूंज और वैश्विक शांति के लिए बुद्ध से आशीर्वाद की प्रार्थनाओं ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस कार्यक्रम की मेज़बानी थाईलैंड और श्रीलंका ने संयुक्त रूप से की।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने इस अवसर पर एक वीडियो संदेश में कहा, “बुद्ध की करुणा, सहिष्णुता और निःस्वार्थ सेवा की शिक्षाएं संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों से गहराई से मेल खाती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “गंभीर वैश्विक चुनौतियों के इस युग में, इन शाश्वत सिद्धांतों को ही हमें आगे की राह दिखानी चाहिए।”

हरीश ने कहा कि भारत बौद्ध धर्म की जन्मस्थली रहा है और वेसाक का यह पर्व हमारे क्षेत्र के देशों को जोड़ने वाली साझा विरासत और सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करने का अवसर है।

उन्होंने बताया कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा के दौरान प्रमुख बौद्ध स्थलों का दौरा कर इस साझा विरासत को और अधिक मजबूती दी।

थाईलैंड यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने थाई प्रधानमंत्री पैतोंगतान शिनावात्रा के साथ बैंकॉक के प्रसिद्ध वाट फो मंदिर में जाकर 'रिलाइंग बुद्ध' की प्रतिमा को नमन किया और वरिष्ठ भिक्षुओं को 'संघदान' अर्पित किया।

श्रीलंका प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसानायके के साथ अनुराधापुर स्थित जया श्री महा बोधि मंदिर में पूजा अर्चना की।

हरीश ने बताया कि यह मंदिर भारत-श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, क्योंकि यहां वह वृक्ष स्थित है जो उस बोधिवृक्ष की शाखा से उत्पन्न हुआ था जिसके नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

गुरुवार को भारत का संयुक्त राष्ट्र मिशन ‘गौतम बुद्ध की शिक्षाएं: आंतरिक और वैश्विक शांति की ओर एक मार्ग’ विषय पर एक विशेष बैठक का आयोजन कर रहा है।