
संयुक्त राष्ट्र: जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में समुद्री सुरक्षा और समुद्रों पर आतंकवाद को लेकर गंभीर चर्चा हो रही थी, उस वक्त पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते का मुद्दा उठाकर चर्चा को हास्यास्पद दिशा दे दी।
यह पाकिस्तान की भारत को लेकर जुनूनी एकतरफा सोच को दर्शाता है — विषय कुछ भी हो, उसे किसी न किसी तरह भारत से जोड़कर विवाद खड़ा करना उसकी आदत बन चुकी है, जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक ‘थियेटर ऑफ एब्सर्ड’ (नाटकीय बेतुकेपन) जैसा दृश्य उत्पन्न करता है।
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने भारत का नाम लिए बिना उसे “एक प्रमुख देश” कहकर संबोधित किया और आरोप लगाया कि वह “प्राकृतिक संसाधनों, खासकर सीमावर्ती नदियों, का दुरुपयोग कर उन्हें एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है”, जो संधि की शर्तों और अच्छे पड़ोसी संबंधों के सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा पिछले महीने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद, भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, अहमद ने भारत पर आरोप लगाया कि वह “भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर” पाकिस्तान जैसे निचले तटीय देशों को नुकसान पहुंचा रहा है। भारत को सीधे नाम से संबोधित करने से बचते हुए उन्होंने संकेतों में आरोप लगाए, ताकि भारत को ‘राइट टू रिप्लाई’ (जवाबी प्रतिक्रिया का अधिकार) न मिल सके।
हालांकि भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने उनके आरोपों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और समुद्री सुरक्षा पर गंभीर चर्चा में ही ध्यान केंद्रित रखा।
अहमद ने भारत की अगुवाई में गठित ‘हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA)’ में पाकिस्तान को शामिल न किए जाने पर भी ख़ासा खिन्नता जताई। इस 23 सदस्यीय संगठन में समुद्री सहयोग के साथ-साथ आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया जाता है। भारत पाकिस्तान की सदस्यता का विरोध करता है, क्योंकि उसका मानना है कि पाकिस्तान की आतंकवाद से संलिप्तता इस संगठन की मूल भावना के विरुद्ध है।
इसके अलावा, अहमद ने भारत द्वारा नौसैनिक क्षमताओं के विस्तार को भी “आक्रामक सैन्य वृद्धि” बताते हुए उस पर तंज कसा। वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान एयरक्राफ्ट कैरियर जैसी महंगी रक्षा क्षमताएं जुटाने में असमर्थ है और चीन और तुर्की जैसे देशों पर सैन्य सहायता के लिए निर्भर है।
संक्षेप में, जब दुनिया समुद्री आतंकवाद जैसे गंभीर विषयों पर एकजुटता दिखा रही थी, पाकिस्तान ने एक बार फिर अनावश्यक और अप्रासंगिक मुद्दा उठाकर खुद को हास्य का पात्र बना दिया।
With inputs from IANS