
मॉस्को- रूस के विदेश मंत्रालय के यूरोपीय मामलों के विभाग के निदेशक व्लादिस्लाव मस्लेनिकोव ने शनिवार को कहा कि यूक्रेन का यूरोपीय संघ (ईयू) में शामिल होना रूस के हितों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि ईयू सक्रिय रूप से सैन्यीकरण की ओर बढ़ रहा है और मास्को के खिलाफ कदम उठा रहा है।
रूसी अखबार इज़वेस्टिया को दिए एक बयान में मस्लेनिकोव ने कहा, "मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि हम यूक्रेन की ईयू सदस्यता का समर्थन करें, खासकर तब जब यूरोपीय संघ सक्रिय रूप से सैन्यीकरण कर रहा है और लगातार हमारे खिलाफ खड़ा होने की नीति अपना रहा है, जिसमें यूक्रेन संकट का समाधान भी शामिल है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह भी याद रखना चाहिए कि यूरोपीय संघ की लिस्बन संधि में ऐसा प्रावधान मौजूद है, जो नाटो की सामूहिक रक्षा से जुड़ी वाशिंगटन संधि के अनुच्छेद 5 जितना ही महत्वपूर्ण है। इसी कारण से, यूक्रेन की ईयू में सदस्यता हमारे हितों से मेल नहीं खाती।"
ब्रसेल्स में समाप्त हुई दो दिवसीय ईयू शिखर बैठक के दौरान यूरोपीय परिषद की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, हंगरी ने यूक्रेन पर अंतिम संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करते हुए उसका समर्थन नहीं किया।
इस दस्तावेज़ में कहा गया कि यूरोपीय परिषद "यूक्रेन में रूस की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है और व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का समर्थन करता है।"
बयान में यूक्रेन की यूरोपीय एकीकरण प्रक्रिया शुरू करने का भी उल्लेख किया गया, जिसका हंगरी कई बार विरोध कर चुका है।
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने यूक्रेन की ईयू सदस्यता प्रक्रिया शुरू करने के फैसले पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि "यूक्रेन की न तो स्पष्ट सीमाएं हैं, न कार्यरत अर्थव्यवस्था और न ही वास्तविक संप्रभुता।"
ओर्बन ने आगे कहा कि किसी ऐसे देश को यूरोपीय समुदाय में शामिल करना जो "सैन्य संघर्ष की स्थिति में है", इसका मतलब होगा "अनंत युद्ध के लिए खुली छूट", जिसकी कीमत आने वाले दशकों तक यूरोपीय संघ के करदाताओं को चुकानी पड़ेगी।
हंगरी के एक सार्वजनिक रेडियो स्टेशन पर दिए साक्षात्कार में ओर्बन ने कहा, "हम यूक्रेन को यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं बनने दे सकते क्योंकि इसके बाद हम सीधे ऐसे संघर्ष में शामिल हो जाएंगे जो ईयू के क्षेत्र तक फैल सकता है।"
With inputs from IANS