व्लादिवोस्तोक- रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास प्रशांत महासागर में रविवार को 6.8 तीव्रता का आफ्टरशॉक महसूस किया गया। इस बात की जानकारी आपात स्थितियों के मंत्रालय की क्षेत्रीय शाखा ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी।
भूकंप स्थानीय समयानुसार शाम 5:37 बजे (0537 GMT) आया, जो पेत्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की (क्षेत्रीय राजधानी) से 277 किलोमीटर दूर और 26 किलोमीटर की गहराई में था।
कामचटका सुनामी चेतावनी और निगरानी केंद्र के अनुसार, भूकंप से उत्पन्न सुनामी की लहरें 19 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होंगी। हालांकि, स्थानीय आपात अधिकारियों ने सावधानी के तौर पर लोगों को समुद्र तट से दूर रहने की सलाह दी है।
शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने यह भी कहा है कि तटीय जल क्षेत्र में मौजूद जहाजों को—चाहे वे खुले जल में लंगर डाले हों या चौड़े प्रवेश द्वार वाले खाड़ियों में हों—50 मीटर आइसोबाथ से आगे समुद्र की ओर जाने और तटरेखा के लंबवत दिशा में नौकायन करने की सलाह दी गई है।
इससे पहले रविवार को ही जर्मन भू-विज्ञान अनुसंधान केंद्र (GFZ) के अनुसार, रूस के कुरील द्वीप में 6.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप दर्ज किया गया था। पहले इसे 6.35 तीव्रता और 10 किलोमीटर गहराई का भूकंप बताया गया था, जिसे बाद में संशोधित किया गया।
प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने इस भूकंप की तीव्रता 7.0 बताई और पुष्टि की कि इस भूकंप के बाद कोई सुनामी चेतावनी जारी नहीं की गई।
यह भूकंपीय गतिविधि उस 8.7 तीव्रता वाले भूकंप के बाद हो रही है जो 30 जुलाई को आया था, जिसे अब तक के छठे सबसे शक्तिशाली भूकंप के रूप में दर्ज किया गया है। भले ही इसका असर व्यापक था, लेकिन क्रेमलिन ने पुष्टि की कि रूस में कोई जनहानि नहीं हुई।
30 जुलाई के भूकंप के बाद से क्षेत्र में 4.4 या उससे अधिक तीव्रता वाले 125 से अधिक आफ्टरशॉक दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से कम से कम तीन की तीव्रता 6.0 से अधिक थी, जिनमें से एक 6.9 तीव्रता का आफ्टरशॉक मुख्य भूकंप के लगभग 45 मिनट बाद आया।
कुरील द्वीपसमूह में अब भी लगातार तेज आफ्टरशॉक महसूस किए जा रहे हैं। भूकंपीय विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े भूकंप के बाद प्रारंभिक घंटों और दिनों में आफ्टरशॉक सबसे तीव्र और बार-बार आते हैं, लेकिन समय के साथ उनकी संख्या और तीव्रता कम होती जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कम गहराई वाले भूकंप ज़्यादा खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि ये ज़मीन की सतह के करीब होते हैं, जिससे तेज़ झटके और संरचनात्मक क्षति व जनहानि का खतरा अधिक होता है।
With inputs from IANS