रूस का क्राशेनीनिकोव ज्वालामुखी 600 वर्षों बाद फटा, राख का गुबार 6 किमी ऊंचा उठाBy Admin Mon, 04 August 2025 04:04 AM

मॉस्को – रूस के कामचटका प्रायद्वीप में स्थित क्राशेनीनिकोव ज्वालामुखी ने 600 वर्षों में पहली बार विस्फोट किया है। इस दौरान उठी राख की मोटी परत आसमान में छह किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच गई। यह जानकारी रूसी विज्ञान अकादमी की यूनिफाइड जियोफिजिकल सर्विस की कामचटका शाखा ने दी।

कामचटका वोल्केनिक इरप्शन रिस्पॉन्स टीम (KVERT) के अनुसार, यह विस्फोट रविवार तड़के 2:50 बजे (स्थानीय समयानुसार) शुरू हुआ। शुरू में 3 से 4 किलोमीटर ऊंचाई तक राख का गुबार उठा, जो बाद में बढ़कर 6,000 मीटर (लगभग 19,700 फीट) तक पहुंच गया। इसके चलते क्षेत्र में नारंगी स्तर की विमानन चेतावनी जारी की गई है।

KVERT की प्रमुख ओल्गा गिरिना ने समाचार एजेंसी RIA नोवोस्ती को बताया कि यह ज्वालामुखी बीते छह शताब्दियों में पहली बार सक्रिय हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, राख का गुबार दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रशांत महासागर की ओर बढ़ रहा है।

कामचटका जियोफिजिकल सर्विस ने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक आधिकारिक अपडेट में बताया,

“क्राशेनीनिकोव ज्वालामुखी से निकली राख दक्षिण-पूर्व दिशा में समुद्र तल से छह किलोमीटर की ऊंचाई तक फैल रही है।”

कामचटका की आपातकालीन मंत्रालय ने भी एक बयान में पुष्टि की कि राख का गुबार पूर्व की दिशा में प्रशांत महासागर की ओर जा रहा है।

“राख का यह गुबार ज्वालामुखी से पूर्व की ओर फैल रहा है। इसके रास्ते में कोई भी आबादी वाला इलाका नहीं है और **अब तक किसी भी बस्ती में राख गिरने की घटना दर्ज नहीं की गई है।”

क्राशेनीनिकोव ज्वालामुखी पेत्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की से लगभग 200 किमी उत्तर और क्रोनोस्को झील से 13 किमी दक्षिण में स्थित है। यह ज्वालामुखी कामचटका के पूर्वी ज्वालामुखीय क्षेत्र का हिस्सा है, जो सक्रिय ज्वालामुखियों के घनत्व के लिए जाना जाता है।

इस विस्फोट से कुछ दिन पहले ही कामचटका प्रायद्वीप के पास 8.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, जिसके बाद सुनामी की चेतावनी दी गई थी और कुछ क्षेत्रों में आपातकाल घोषित किया गया था।

इससे पहले, क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन मंत्रालय ने चेतावनी जारी की थी कि कामचटका के कुछ सक्रिय ज्वालामुखियों से 6 से 10 किलोमीटर ऊंचाई तक राख के गुबार उठ सकते हैं।

वर्तमान में क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए, स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को सलाह दी गई है कि वे सभी ज्वालामुखियों की चोटी से कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी बनाए रखें।

 

With inputs from IANS