नई दिल्ली – एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्राइवेट इक्विटी (PE) गतिविधियां 2025 की दूसरी छमाही में फिर से गति पकड़ सकती हैं, क्योंकि बाजार मूल्यांकन स्थिर हो रहे हैं और एग्ज़िट (निकासी) के अवसर बेहतर हो रहे हैं।
ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार, मई महीने में भारत में कुल 179 डील्स में 4.5 अरब डॉलर का निवेश हुआ। आईपीओ और क्यूआईपी को छोड़ दें तो 175 सौदों में 4.2 अरब डॉलर का लेनदेन हुआ, जो अप्रैल की तुलना में वॉल्यूम में 17 प्रतिशत और मूल्य में 4 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।
इसके साथ ही, विदेशी विलय एवं अधिग्रहण (M&A) गतिविधियों में तेजी यह दर्शाती है कि भारतीय कंपनियों का वैश्विक विस्तार और रणनीतिक विविधता को लेकर आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
ग्रांट थॉर्नटन भारत की पार्टनर शांति विजेता ने कहा, “मई में प्राइवेट इक्विटी की धीमी गति के चलते कुल सौदों की संख्या में गिरावट रही। हालांकि, दो यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स का उभरना और कॉर्पोरेट इंडिया की विदेशी डील्स में बढ़त, आने वाले समय में बेहतर सौदा परिदृश्य की ओर संकेत देता है।”
उन्होंने कहा, “आईपीओ बाजार में तेजी की पृष्ठभूमि में साल की दूसरी छमाही में सौदों की गति तेज होने की उम्मीद है।”
विलय और अधिग्रहण (M&A) गतिविधियां मई में स्थिर रहीं, जिसमें 68 सौदे 2.4 अरब डॉलर के हुए। हालांकि वॉल्यूम में 1% की मामूली गिरावट आई, पर मूल्य के लिहाज से अप्रैल की तुलना में 75% की वृद्धि दर्ज की गई।
खास बात यह रही कि आउटबाउंड M&A डील्स में जबरदस्त उछाल आया। अप्रैल में जहां सिर्फ 2 सौदे हुए थे, वहीं मई में यह संख्या बढ़कर 15 हो गई, जो दर्शाता है कि भारतीय कंपनियां अब एक दशक के बाद फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए तैयार हैं।
प्राइवेट इक्विटी सेक्टर में उम्मीद की किरण दो यूनिकॉर्न के रूप में दिखाई दी – ड्रूल्स पेट फूड्स और जेएसडब्ल्यू वन प्लेटफॉर्म्स। इससे पता चलता है कि निवेशकों का भरोसा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
मई में पूंजी बाजार सुस्त रहा, जहां सिर्फ दो आईपीओ के जरिए 0.3 अरब डॉलर जुटाए गए, जो पिछले महीने जैसी ही स्थिति थी।
बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं ने सौदों के कुल मूल्य में 42 प्रतिशत का योगदान दिया, जिसमें सबसे बड़ा निवेश सुमितोमो मित्सुई द्वारा YES बैंक में किया गया 1.6 अरब डॉलर का निवेश रहा।
रिटेल और कंज़्यूमर सेक्टर में सौदों की रफ्तार बनी रही, खासकर फैशन रिटेल जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश हुए, जैसे कि सिटीकार्ट का 68 मिलियन डॉलर जुटाना।
With inputs from IANS