नई दिल्ली — इसराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते सोमवार को अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कीमतों में जोरदार उछाल देखने को मिला।
ब्रेंट क्रूड की कीमतों में एक समय 5.5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई, हालांकि बाद में यह घटकर लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसराइल ने ईरान के विशाल साउथ पार्स गैस क्षेत्र पर हमला किया, जिससे वहां स्थित एक उत्पादन प्लेटफॉर्म को बंद करना पड़ा।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की कोशिश या ईरान समर्थित यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा समुद्री जहाजों पर हमला नहीं होता, तब तक कच्चे तेल की कीमतों में कोई दीर्घकालिक उछाल की संभावना नहीं है।
जूलियस बेयर के अर्थशास्त्र प्रमुख नॉर्बर्ट रुकर ने कहा, "तेल बाजार ऐसे संघर्षों का तापमान बताने वाला मीटर है, और कीमतों में उछाल इसी का संकेत है।"
उन्होंने कहा, "स्थिति अभी अस्थिर है। आने वाले दिन और हफ्ते तय करेंगे कि तनाव कितना बढ़ेगा। हमारा अनुमान है कि यह संघर्ष भी पहले की तरह अस्थायी रूप से तेल कीमतों को बढ़ाएगा, और फिर धीरे-धीरे कीमतें पुराने स्तर पर लौट आएंगी। आज का तेल बाजार काफी मजबूत है और फिलहाल आपूर्ति को कोई बड़ा खतरा नहीं है।"
रुकर के अनुसार, ऐसे भूराजनीतिक संकटों में कच्चे तेल की कीमतें 20% तक बढ़ती हैं और यह असर आम तौर पर तीन महीने से कम रहता है।
इसराइली कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते पर बातचीत विफल हो चुकी है। ईरान ने चेतावनी दी है कि यदि उस पर हमला हुआ तो वह इराक और आसपास के क्षेत्रों में स्थित अमेरिकी ठिकानों पर पलटवार करेगा। इसके चलते अमेरिका ने अपने कुछ कर्मियों को वहां से हटाने का आदेश भी दिया है।
एमके ग्लोबल की एक रिपोर्ट के अनुसार,
ईरान, हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य के उत्तरी छोर पर स्थित है, जिससे दैनिक 20 मिलियन बैरल से अधिक तेल का व्यापार होता है। इसमें सऊदी अरब, यूएई, कुवैत और इराक की आपूर्ति शामिल है। अतीत में ईरान इस जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी भी दे चुका है।
यदि इस तनाव के चलते पूरा मध्य पूर्व क्षेत्र प्रभावित होता है और सऊदी, इराक, कुवैत व यूएई जैसे देशों की आपूर्ति बाधित होती है, तो इससे तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।
With inputs from IANS