नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा है कि वह खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कमी से होने वाले लाभ को पूरे देश में उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए निरंतर निगरानी और समीक्षा करती रहेगी। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DoFPD) के अनुसार, कीमतों में कमी के लाभ को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में किसी भी प्रकार की अनियमितता या देरी पर उचित नियामक कार्रवाई की जाएगी।
इसी कड़ी में, विभाग ने देश भर में प्रमुख खाद्य तेल रिफाइनरी और प्रसंस्करण इकाइयों का निरीक्षण किया है। पिछले कुछ दिनों में हुए इन निरीक्षणों में प्रमुख बंदरगाह-आधारित रिफाइनरियों और अंतर्देशीय प्रसंस्करण संयंत्रों को शामिल किया गया, जो कच्चा पाम ऑयल (CPO), कच्चा सोयाबीन तेल और कच्चा सूरजमुखी तेल आयात करते हैं।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों, जहां सबसे अधिक खाद्य तेल प्रसंस्करण सुविधाएं स्थित हैं, में कई बड़ी इकाइयों का दौरा किया गया।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, "इन निरीक्षणों का उद्देश्य हाल में आयात शुल्क में कटौती के प्रभाव का आकलन करना था, जिससे रिफाइंड सूरजमुखी तेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल और आरबीडी पामोलिन जैसे खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) और वितरकों को दिए जाने वाले मूल्य (PTD) में कमी आए।"
जांच में शामिल अधिकांश इकाइयों ने आयातित कच्चे तेल की लागत में कमी के बाद MRP और PTD दोनों को घटा दिया है। कई प्रसंस्करण इकाइयों ने अगले कुछ दिनों में कीमतों में और कटौती करने का भरोसा दिलाया है, क्योंकि संशोधित आयात शुल्क ढांचे के तहत उन्हें कम कीमत पर कच्चे तेल की आपूर्ति मिल रही है।
इस पहल से खाद्य तेल बाजार में कीमतें स्थिर हुई हैं, और प्रारंभिक संकेतों से पता चलता है कि खुदरा स्तर पर कीमतों में कमी के रूप में यह लाभ धीरे-धीरे उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है।
हाल के महीनों में, सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए हैं। इनमें एक प्रमुख कदम विभिन्न कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को कम करना था, ताकि उनकी समग्र लागत घट सके। केंद्र ने कच्चे सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम ऑयल सहित कच्चे खाद्य तेलों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20% से घटाकर 10% कर दिया है, ताकि घरेलू बाजार में कीमतें कम हों।
With inputs from IANS