आयुर्वेद पर्यटन: स्वस्थ जीवन की ओर एक नई यात्राBy Admin Tue, 06 May 2025 11:51 AM

नई दिल्ली (IANS): कभी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति मानी जाने वाली आयुर्वेद अब एक व्यक्तिगत, परिवर्तनकारी उपचार प्रणाली के रूप में उभर रही है, जो न केवल स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा रही है, बल्कि भारत में पर्यटन को भी नई दिशा दे रही है और वेलनेस ट्रैवल की परिभाषा को बदल रही है।

भारत की यह 5000 साल पुरानी चिकित्सा प्रणाली, जो प्राचीन ज्ञान और सतत जीवनशैली पर आधारित है, आजकल पर्यटकों को उपचार, संस्कृति, आत्म-खोज और प्रकृति से जुड़ाव का अनोखा अनुभव प्रदान कर रही है।

महार्षि आयुर्वेद अस्पताल के निदेशक लक्ष्मण श्रीवास्तव ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा, "इस सदी में दुनिया आयुर्वेद को केवल एक चिकित्सा पद्धति ही नहीं, बल्कि एक रोकथाम और संपूर्ण जीवनशैली प्रणाली के रूप में भी देखेगी। आयुर्वेद ही एकमात्र चिकित्सा प्रणाली थी, जिसने आरंभ से ही ‘रोग की रोकथाम’ और ‘उपचार’ दोनों पर बल दिया।"

उन्होंने बताया कि आजकल लोग प्राकृतिक, प्रामाणिक और स्थायी उपचार की तलाश में हैं, और आयुर्वेद उन्हें आहार, शरीर शुद्धि, ध्यान और व्यक्तिगत उपचारों के माध्यम से यह समाधान प्रदान करता है।

सामान्य स्पा यात्राओं से अलग, आयुर्वेद पर्यटन ऑटोइम्यून रोगों, चिंता, पाचन समस्याओं जैसे कई दीर्घकालिक रोगों के समाधान में भी मदद करता है।

श्रीवास्तव कहते हैं, "आयुर्वेद शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों स्तरों पर दीर्घकालिक स्वास्थ्य को पोषित करता है।"

उन्होंने आगे बताया कि आज के आधुनिक आयुर्वेदिक केंद्र मरीजों के साथ-साथ पर्यटकों की ज़रूरतों के अनुसार ढल चुके हैं – जहां न केवल इलाज होता है बल्कि अतिथि अनुभव को भी समृद्ध बनाया जाता है। इन केंद्रों पर पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचारों को आधुनिक यात्रियों के अनुकूल कोमल और सुलभ रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

आयुर्वेदिक पर्यटन मॉडल न सिर्फ भारत की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करता है, बल्कि पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रखने में सहायक है।

श्रीवास्तव ने कहा, "हमारी वैदिक जीवनशैली – चाहे वह भोजन हो या दिनचर्या – आयुर्वेद से गहराई से जुड़ी हुई है। जब कोई पर्यटक आयुर्वेद को अनुभव करता है, तो वह भारत की आत्मा को भी महसूस करता है।"

इस पर्यटन में व्यक्तिगतता का भी विशेष महत्व है – जैसे आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श, व्यक्तिगत इलाज, विशेष आहार योजना, योग और ध्यान सत्र, और विभिन्न कार्यशालाएं।

अंत में श्रीवास्तव ने कहा, "आयुर्वेद एक अनुभवात्मक यात्रा है, जो व्यक्ति के जीने, खाने, सोचने और सांस लेने के तरीके को ही बदल देती है।"