रायपुर — छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा डिवीजन में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) आकश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए।
राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने गिरिपुंजे की शहादत की पुष्टि करते हुए गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गिरिपुंजे 2013 बैच के अधिकारी थे और एक बहादुर सैनिक थे।
विस्फोट में कई अन्य जवान भी घायल हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कोंटा थाना प्रभारी सोनल ग्वाला को भी चोटें आई हैं। सुरक्षा बलों को इलाके में तैनात किया गया है ताकि घटनास्थल को सुरक्षित किया जा सके और अतिरिक्त मदद पहुंचाई जा सके।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, एएसपी गिरिपुंजे को गंभीर चोटें आई थीं, और इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। यह हमला नक्सलियों द्वारा 10 जून को भारत बंद की घोषणा के बाद हुआ।
गिरिपुंजे अपने दल के साथ पैदल गश्त पर थे और उन्होंने कोंटा-एर्राबोर रोड पर एक सुरक्षा कैंप स्थापित किया था। इसी दौरान डोंड्रा के पास विस्फोट हुआ।
विस्फोट में कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए, जिनका इलाज कोंटा अस्पताल में चल रहा है।
गहरे दबाए गए आईईडी अब भी सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, डिटेक्शन उपकरण दो फीट से गहराई में दबे विस्फोटकों की पहचान नहीं कर पाते। ऐसा ही बीजापुर हमले में हुआ था, जहां पांच फीट नीचे दबे आईईडी से आठ जवान और एक ड्राइवर शहीद हुए थे।
सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत, सड़क खोलने वाली टुकड़ी और बम डिस्पोजल दस्ते को पहले इलाके की जांच करनी होती है। बावजूद इसके, गहराई में छिपाए गए विस्फोटक जानलेवा खतरा बने हुए हैं।
पिछले वर्षों में कई नक्सली हमले आईईडी के जरिए हुए, जिनमें बड़े पैमाने पर जानें गईं:
इस ताजा हमले के बाद अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं ताकि आगे की हिंसा को रोका जा सके।
एएसपी गिरिपुंजे की शहादत यह दर्शाती है कि उन्नत विस्फोटक पहचान तकनीक और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की अति आवश्यकता है।
With inputs from IANS