विशाखापट्टनम – आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में बुधवार को तीन शीर्ष माओवादी नेताओं की पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई।
यह मुठभेड़ ग्रेहाउंड्स (एलीट एंटी-माओवादी बल) और माओवादियों के बीच देवीपटनम के जंगलों में, आंध्र-ओडिशा सीमा पर हुई।
ग्रेहाउंड्स के जवान जंगल में कॉम्बिंग ऑपरेशन चला रहे थे, जब उन्होंने माओवादियों को देखा और उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा। इस पर माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में तीन माओवादी मारे गए।
यह मुठभेड़ रम्पाचोड़ावरम और मरेदुमिल्लि मंडलों के बीच के जंगलों में स्थित कोंडामोडालु के पास हुई।
मारे गए माओवादियों की पहचान गजरला रवि उर्फ उदय (आंध्र-ओडिशा बॉर्डर स्पेशल ज़ोन कमेटी के सचिव), अरुणा (ज़ोनल कमेटी सदस्य), और अंजू (ज़ोनल कमेटी की एसीएम) के रूप में हुई है।
गजरला रवि सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य भी था।
मुठभेड़ स्थल से तीन एके-47 राइफलें बरामद की गई हैं।
अरुणा, माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य रामचंद्र रेड्डी उर्फ चेलपति की पत्नी थी, जो इस वर्ष जनवरी में छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा के पास सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए 14 माओवादियों में शामिल था।
अरुणा पर 2018 में विशाखापट्टनम जिले में अराकू के विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवेरी सोमा की हत्या का आरोप था। वह पेंदुर्थी मंडल के करकवानीपालेम की निवासी थी और उस पर 25 लाख रुपये का इनाम था।
उदय पर भी 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
मारे गए माओवादियों के शवों को रम्पाचोड़ावरम क्षेत्रीय अस्पताल ले जाया गया है।
मुठभेड़ स्थल पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी पहुंचे और पूरे घटनाक्रम का जायजा लिया।
तीन माओवादी नेताओं की मौत को आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र (AOB) में सक्रिय प्रतिबंधित माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
AOB क्षेत्र को माओवादी छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य और झारखंड के जंगलों के बीच एक सुरक्षित गलियारे के रूप में देखते थे।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन कागर के तहत कई माओवादियों की हत्या के बाद हुई है, जो सुरक्षा बलों की लगातार सफल रणनीति का हिस्सा है।
With inputs from IANS