श्रीनगर- अमरनाथ यात्रा के पहले तीन दिनों में करीब 48,000 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में दर्शन किए हैं। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। रविवार को एक और जत्था, जिसमें 7,208 श्रद्धालु शामिल हैं, जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना हुआ।
अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को 21,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन किए। वहीं रविवार को दो कड़ी सुरक्षा वाले काफिलों के जरिए 7,208 श्रद्धालु भगवती नगर यात्री निवास, जम्मू से घाटी के लिए रवाना हुए।
अधिकारियों के अनुसार, पहला काफिला उत्तर कश्मीर के बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ, जबकि दूसरा काफिला दक्षिण कश्मीर के नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप की ओर गया।
श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि जम्मू स्थित भगवती नगर यात्री निवास में पंजीकरण कराने वाले यात्रियों के अलावा, बड़ी संख्या में श्रद्धालु सीधे बालटाल और नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप पहुंचकर मौके पर ही रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं।
शनिवार को रामबन जिले के चंद्रकोट में घाटी की ओर जा रहे यात्री काफिले की पांच गाड़ियां आपस में टकरा गईं, जिसमें 36 श्रद्धालु मामूली रूप से घायल हो गए।
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन मैदान में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा धर्म के आधार पर आम नागरिकों की पहचान कर 26 लोगों की हत्या के बाद इस वर्ष अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर प्रशासन कोई कोताही नहीं बरत रहा है।
सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस के मौजूदा बल के अलावा 180 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती की गई है। जम्मू स्थित भगवती नगर यात्री निवास से लेकर दोनों बेस कैंप्स और पवित्र गुफा तक पूरे मार्ग को सुरक्षा बलों द्वारा घेराबंदी कर सुरक्षित किया गया है।
स्थानीय लोगों ने इस वर्ष भी अमरनाथ यात्रा में पूरा सहयोग दिया है। पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में कश्मीरियों की संवेदनाएं जताने के लिए, जब पहले जत्थे के श्रद्धालु नवयुग टनल पार कर घाटी में दाखिल हुए तो काजीगुंड में स्थानीय लोगों ने फूल-मालाओं और स्वागत बोर्ड के साथ उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई है और यह 38 दिनों तक चलेगी। यात्रा का समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के अवसर पर होगा।
पवित्र गुफा, जो समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर कश्मीर हिमालय में स्थित है, तक श्रद्धालु दो मार्गों से पहुंचते हैं — पारंपरिक पहलगाम मार्ग और छोटा बालटाल मार्ग।
पहलगाम मार्ग से जाने वाले श्रद्धालुओं को चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी होते हुए गुफा तक पहुंचने के लिए लगभग 46 किलोमीटर की पदयात्रा करनी होती है, जिसमें चार दिन लगते हैं। बालटाल मार्ग अपेक्षाकृत छोटा है, जिसमें श्रद्धालुओं को केवल 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है और वे उसी दिन वापस बेस कैंप लौट सकते हैं।
सुरक्षा कारणों के चलते इस वर्ष श्रद्धालुओं के लिए हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं कराई गई है।
गुफा में प्राकृतिक रूप से बनने वाला हिमलिंग चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ आकार में परिवर्तन करता है। भक्त मानते हैं कि यह हिमलिंग भगवान शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक है।
अमरनाथ यात्रा हिंदू श्रद्धालुओं की सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक मानी जाती है। मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता और जीवन के रहस्यों की कथा सुनाई थी। ऐसा कहा जाता है कि उस समय गुफा में दो कबूतर भी मौजूद थे, जो आज भी हर वर्ष यात्रा शुरू होने पर गुफा से निकलते दिखाई देते हैं।
With inputs from IANS