नई दिल्ली — भारत में खुदरा महंगाई दर (रिटेल इंफ्लेशन) पिछले 11 वर्षों में औसतन लगभग 5% रही है, और हाल के महीनों में इसमें निरंतर गिरावट देखी गई है। जून 2025 में यह घटकर 2.1% पर आ गई, जो पिछले छह वर्षों का सबसे निचला स्तर है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में औसत खुदरा महंगाई 5.1% रही है, जबकि यूपीए शासनकाल में यह 8.1% थी।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, यूपीए शासन के अंतिम चरण (जनवरी 2012 से अप्रैल 2014) के बीच 28 में से 22 महीनों में खुदरा महंगाई दर 9% से अधिक रही थी।
2011 से 2014 के बीच यूपीए सरकार के अंतिम तीन वर्षों में औसत खुदरा महंगाई 9.8% थी, जबकि उस समय वैश्विक महंगाई 4–5% के बीच स्थिर बनी हुई थी।
इसके विपरीत, मोदी सरकार के दौरान खुदरा महंगाई अधिकतर 5% से नीचे रही है, और कभी भी 8% से ऊपर नहीं गई।
महंगाई में गिरावट से आम लोगों की जीवन यापन की लागत घटती है, जिससे उनके हाथ में अधिक पैसा बचता है जिसे वे अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च कर सकते हैं। इससे जीवन स्तर में सुधार होता है, उद्योगों की मांग बढ़ती है, अर्थव्यवस्था में तेजी आती है और रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं।
महंगाई की मार सबसे ज्यादा गरीब वर्ग को पड़ती है क्योंकि आवश्यक वस्तुएं भी उनकी पहुंच से बाहर हो जाती हैं।
जून 2025 के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के चलते खाद्य महंगाई दर -1.06% दर्ज की गई। मई 2025 की तुलना में फूड इंफ्लेशन में 205 बेसिस पॉइंट्स की तेज गिरावट देखी गई। जनवरी 2019 के बाद यह खाद्य महंगाई की सबसे कम दर है।
इस गिरावट का मुख्य कारण सब्जियां, दालें, मांस और मसालों की कीमतों में कमी है।
इसी दौरान, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई अनुमान को 4% से घटाकर 3.7% कर दिया है, यह जानकारी आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी।
2025-26 के लिए CPI महंगाई दर का अनुमान इस प्रकार है:
Q1 (पहली तिमाही): 2.9%
Q2: 3.4%
Q3: 3.9%
Q4: 4.4%
गवर्नर के अनुसार, निकट भविष्य और मध्यावधि के अनुमान इस बात का विश्वास दिलाते हैं कि हेडलाइन महंगाई 4% के लक्ष्य के साथ स्थायी रूप से संरेखित रहेगी, और ऐसा भी संभव है कि वर्ष के दौरान महंगाई लक्ष्य से नीचे ही रहे।
With inputs from IANS