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नई दिल्ली: क्या आप शुगरी ड्रिंक्स जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, फलों के रस या एनर्जी व स्पोर्ट्स ड्रिंक्स पीना पसंद करते हैं? तो सावधान हो जाइए — एक नए अध्ययन के अनुसार, इन मीठे पेयों का सेवन टाइप 2 डायबिटीज़ (T2D) का खतरा बढ़ा सकता है।
अमेरिका की ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थों में मौजूद या उनमें जोड़ी गई प्राकृतिक मिठास — जैसे साबुत फल, डेयरी उत्पाद या साबुत अनाज — शरीर में मेटाबॉलिक ओवरलोड नहीं करती।
शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों में मौजूद फाइबर, वसा, प्रोटीन और अन्य लाभकारी पोषक तत्वों के कारण रक्त में ग्लूकोज़ की प्रतिक्रिया धीमी होती है।
यह अध्ययन Advances in Nutrition जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें शोधकर्ताओं ने विभिन्न महाद्वीपों के पाँच लाख से अधिक लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया।
शोध में पाया गया कि यदि कोई व्यक्ति रोज़ाना 350 मिलीलीटर (ml) शुगर-स्वीटनड बेवरेज (जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, स्पोर्ट्स ड्रिंक) का एक अतिरिक्त सेवन करता है, तो टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा 25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि यह खतरा पहले ही दैनिक गिलास से शुरू हो जाता है — यानी कोई न्यूनतम सुरक्षित मात्रा नहीं पाई गई।
वहीं, यदि कोई व्यक्ति रोज़ 250 ml फलों के रस (चाहे वह 100% फ्रूट जूस हो, नेक्टर हो या मिलाए गए जूस ड्रिंक) का अतिरिक्त सेवन करता है, तो डायबिटीज़ का खतरा 5 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका और BYU की न्यूट्रिशन साइंस प्रोफेसर कैरेन डेला कोर्टे ने कहा, “यह पहला अध्ययन है जिसने अलग-अलग शुगर स्रोतों और टाइप 2 डायबिटीज़ के जोखिम के बीच स्पष्ट संबंध दिखाया है।”
उन्होंने आगे कहा, “जब आप चीनी पीते हैं — चाहे वह सोडा हो या फ्रूट जूस — तो उसका असर सेहत पर ज़्यादा बुरा होता है, बनिस्बत इसके कि आप उसे खाद्य पदार्थों के ज़रिए खाएं।”
शोधकर्ताओं ने बताया कि शुगर-स्वीटनड ड्रिंक्स और फलों के रस में मौजूद अलग-थलग शर्करा (isolated sugars) शरीर में अधिक ग्लाइसेमिक प्रभाव डालती है, जिससे लिवर मेटाबॉलिज्म गड़बड़ा जाता है। इससे लिवर में चर्बी और इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ती है।
डेला कोर्टे ने कहा, “यह अध्ययन इस बात को रेखांकित करता है कि तरल चीनी (liquid sugars) के प्रति और भी सख्त दिशा-निर्देशों की ज़रूरत है, क्योंकि ये मेटाबॉलिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।”
With inputs from IANS