कम लागत वाली एचआईवी दवा से मधुमेह से जुड़ी आंखों की समस्या में दिख सकती है रोशनी की नई किरणBy Admin Thu, 29 May 2025 04:21 AM

नई दिल्ली— एक सस्ती और पहले से स्वीकृत एचआईवी दवा, लैमिवुडिन, मधुमेह से जुड़ी एक आम लेकिन अंधत्व पैदा करने वाली बीमारी में मरीजों की दृष्टि में उल्लेखनीय सुधार ला सकती है। यह दावा एक प्रारंभिक क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों में किया गया है।

यह दवा डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (DME) से पीड़ित करोड़ों लोगों के लिए एक नई और प्रभावी चिकित्सा विकल्प बन सकती है। DME एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख की रेटिना में तरल पदार्थ जमा हो जाता है और इससे दृष्टि पर बुरा असर पड़ता है। यह बीमारी लगभग हर 14 में से 1 मधुमेह रोगी को प्रभावित करती है।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के शोधकर्ताओं के अनुसार, चूंकि यह दवा मौखिक रूप से ली जाती है, इसलिए यह मरीजों को हर महीने आंख में इंजेक्शन लेने के झंझट से राहत दिला सकती है।

शोध में शामिल यूवीए हेल्थ सेंटर फॉर एडवांस्ड विज़न साइंस के प्रोफेसर जयकृष्ण अंबाटी ने कहा, "लैमिवुडिन का काम करने का तरीका मौजूदा इलाज से बिल्कुल अलग है। इसलिए हम इसे अन्य उपचारों के साथ जोड़कर भी उपयोग कर सकते हैं।"

शोधकर्ताओं ने बताया कि लैमिवुडिन DME के खिलाफ इसलिए असरदार है क्योंकि यह इंफ्लामासोम्स की गतिविधि को रोकती है। इंफ्लामासोम्स हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली के हिस्से होते हैं, जो आमतौर पर संक्रमण को पहचानते हैं, लेकिन इन्हें DME के विकास में भी शामिल पाया गया है।

यह अध्ययन प्रतिष्ठित जर्नल ‘Med’ में प्रकाशित हुआ है। इसमें शोधकर्ताओं ने दो दर्जन DME रोगियों को शामिल किया, और उन्हें दो समूहों में बांटा गया — एक समूह को लैमिवुडिन दी गई, जबकि दूसरे को नकली (प्लेसबो) दवा। चार हफ्तों के बाद सभी को आंख में बेवासिज़ुमैब नामक दवा का इंजेक्शन दिया गया।

परिणामों में पाया गया कि जिन प्रतिभागियों को लैमिवुडिन दी गई, उनकी दृष्टि में पहले इंजेक्शन से पहले ही सुधार दिखने लगा। चार हफ्तों में उनकी आंखों की जांच (आई चार्ट) पर अक्षर पढ़ने की क्षमता में औसतन 9.8 अक्षरों का सुधार हुआ, जबकि प्लेसबो समूह में यह क्षमता 1.8 अक्षर घट गई।

बेवासिज़ुमैब इंजेक्शन के एक महीने बाद, लैमिवुडिन लेने वाले प्रतिभागियों की दृष्टि में 16.9 अक्षरों (तीन पंक्तियों से अधिक) का सुधार हुआ, जबकि केवल बेवासिज़ुमैब लेने वाले प्लेसबो समूह में यह सुधार मात्र 5.3 अक्षरों का रहा।

शोधकर्ताओं का कहना है कि लैमिवुडिन अकेले भी कारगर हो सकती है, और बेवासिज़ुमैब के साथ मिलकर भी बेहतर परिणाम दे सकती है। हालांकि, इस निष्कर्ष की पुष्टि के लिए बड़े स्तर पर और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

प्रोफेसर अंबाटी ने कहा कि लैमिवुडिन उन क्षेत्रों में जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की पहुंच सीमित है या मरीज हर महीने यात्रा कर आंखों का इलाज नहीं करा सकते, वहां यह दवा जीवन बदलने वाली साबित हो सकती है। उन्होंने इस दवा के और व्यापक परीक्षणों की मांग की है।

 

With inputs from IANS