न्यूयॉर्क: भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के शामिल होने वाले Ax-4 मिशन का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए बहुप्रतीक्षित प्रक्षेपण एक बार फिर से टाल दिया गया है। यह निर्णय ISS के ज़्वेज़्दा मॉड्यूल से जुड़ी कुछ तकनीकी टिप्पणियों के कारण लिया गया है।
NASA ने सोशल मीडिया पर इस देरी की घोषणा करते हुए सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया।
“@Axiom_Space के साथ मिलकर, हम #Ax4 मिशन के प्रक्षेपण को @Space_Station के लिए स्थगित कर रहे हैं। नया प्रक्षेपण तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी,” NASA ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया।
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने भी इस घटनाक्रम की पुष्टि की और मिशन की सुरक्षा व अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ समन्वय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
ISRO ने X पर लिखा, “Ax-4 मिशन की देरी का कारण बने ISS के ज़्वेज़्दा मॉड्यूल से जुड़ी तकनीकी टिप्पणियों को जिम्मेदारी से सुलझाने के लिए @Axiom_Space, @NASA, @SpaceX के साथ इसरो निकटता से काम कर रहा है। सुरक्षा और मिशन की शुद्धता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं। — डॉ. वी. नारायणन, सचिव DOS/अध्यक्ष इसरो एवं स्पेस कमीशन।”
Ax-4 मिशन, जिसे अमेरिकी कंपनी Axiom Space संचालित कर रही है, का प्रक्षेपण 11 जून को सुबह 8 बजे (स्थानीय समय) फ्लोरिडा स्थित NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर से होना था। यह मिशन पहले 29 मई को निर्धारित था, जिसे बाद में क्रमशः 8 जून, 10 जून और 11 जून तक स्थगित किया गया।
यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि इसके तहत ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे।
इस मिशन में शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में सेवाएं देंगे, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की पेगी व्हिटसन मिशन की कमांडर होंगी। अन्य दो चालक दल सदस्य पोलैंड के स्लावोश उज़्नान्स्की-विस्नेव्स्की और हंगरी के तिबोर कापु होंगे, जो मिशन विशेषज्ञ के रूप में शामिल हैं।
ISS पर पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला खाद्य और अंतरिक्ष पोषण से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रयोग करेंगे। ये प्रयोग इसरो और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के सहयोग से विकसित किए गए हैं, जिनमें NASA का भी समर्थन प्राप्त है। इन प्रयोगों का उद्देश्य दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक सतत जीवन समर्थन प्रणालियों को बेहतर ढंग से समझना है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोगी तकनीकी मुद्दों को सुलझाने में लगे हुए हैं और एक नई प्रक्षेपण तिथि जल्द ही घोषित होने की संभावना है।
With inputs from IANS