नई दिल्ली — एक एआई-आधारित अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर रूमेटॉइड आर्थराइटिस (गठिया) के बढ़ते मामलों के पीछे उम्रदराज आबादी में वृद्धि और धूम्रपान की बढ़ती प्रवृत्ति प्रमुख कारण हैं। यह वृद्धि 1980 से लगातार देखी जा रही है।
रूमेटॉइड आर्थराइटिस एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है जो मुख्य रूप से जोड़ों को प्रभावित करती है, जिससे दर्द, सूजन और जकड़न होती है।
यह विश्लेषण "एनल्स ऑफ द रूमैटिक डिजीजेज़" नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि आर्थिक और सामाजिक असमानताओं के चलते दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इस बीमारी का बोझ अलग-अलग तरीके से बढ़ा है।
अध्ययन में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) डेटा का उपयोग करते हुए 1980 से 2021 के बीच 953 वैश्विक और स्थानीय स्थानों से रूमेटॉइड आर्थराइटिस से संबंधित आंकड़ों को डीप लर्निंग तकनीक से विश्लेषित किया गया।
निष्कर्षों से पता चला कि 1980 से 2021 तक रूमेटॉइड आर्थराइटिस का वैश्विक बोझ लगातार बढ़ता रहा, खासकर कम उम्र के समूहों और विविध भौगोलिक क्षेत्रों में।
विशेष रूप से, डिसएबिलिटी-एडजस्टेड लाइफ ईयर्स (DALYs) से जुड़ी असमानता 1990 के बाद 62.55 प्रतिशत तक बढ़ी, जिसमें फिनलैंड, आयरलैंड और न्यूज़ीलैंड को 2021 में सबसे असमान देश के रूप में चिह्नित किया गया।
अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया कि केवल आर्थिक स्थिति ही इस बीमारी के बोझ का निर्धारण नहीं करती। उदाहरण के लिए, उच्च सामाजिक-आर्थिक विकास सूचकांक (SDI) वाले देश जैसे जापान और ब्रिटेन में बीमारी का प्रभाव अलग-अलग देखने को मिला।
जापान में भले ही SDI ऊंचा है, लेकिन वहां DALY दर में गिरावट देखी गई, जिसका श्रेय वहां की जल्दी निदान की योजनाओं, बायोलॉजिकल थैरेपीज़ के व्यापक उपयोग और सूजन-रोधी आहार को दिया जा सकता है।
अध्ययन का नेतृत्व कर रहे इंपीरियल कॉलेज लंदन के क्वेरन लिन ने बताया,
"2040 तक, निम्न-मध्यम SDI वाले क्षेत्रों में उम्रदराज़ आबादी और जनसंख्या वृद्धि के चलते DALYs में और बढ़ोतरी देखी जा सकती है, जबकि उच्च SDI क्षेत्रों में यह घट सकती है।"
उन्होंने यह भी कहा,
"धूम्रपान पर नियंत्रण रखने से रूमेटॉइड आर्थराइटिस से होने वाली मृत्यु दर को 16.8% और DALYs को 20.6% तक कम किया जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां धूम्रपान का चलन ज्यादा है, जैसे चीन। यह मध्यम और उच्च SDI वाले क्षेत्रों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।"
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में सटीक स्वास्थ्य नीति और लक्षित हस्तक्षेप के लिए जरूरी आधारभूत प्रमाण अभी भी उपलब्ध नहीं हैं।
With inputs from IANS