नई दिल्ली — एक नए अध्ययन में सामने आया है कि बाहरी वातावरण में मौजूद फंगल (कवकीय) बीजाणुओं की निगरानी करके कोविड-19 और फ्लू के मामलों में होने वाली वृद्धि का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित लिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि हवा में मौजूद फंगल बीजाणुओं की मात्रा में वृद्धि और कोविड-19 या फ्लू के मामलों में उछाल के बीच गहरा संबंध है। हालांकि परागकण (pollen) के मामले में ऐसा कोई स्पष्ट संबंध नहीं देखा गया।
शोधकर्ताओं ने देखा कि जब हवा में फंगल बीजाणुओं की मात्रा बढ़ती है, तो कुछ ही दिनों के भीतर संक्रमण के मामलों में भी तेजी देखी जाती है।
शोध में बने मॉडल विशेष रूप से शरद ऋतु (फॉल सीजन) में कोविड और फ्लू के मामलों में आने वाली लहरों का सटीक पूर्वानुमान देने में सक्षम रहे।
लिन यूनिवर्सिटी के बायोकैमिस्ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर फेलिक्स ई. रिवेरा-मैरियानी ने कहा,
“हमारे अध्ययन से पता चलता है कि हवा में मौजूद फंगल बीजाणुओं की निगरानी करना फ्लू और कोविड के अल्पकालिक विस्फोट (संक्रमण की अचानक वृद्धि) का संकेत देने में मदद कर सकता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों को समय से पहले सतर्क किया जा सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा,
“हमारे निष्कर्ष यह भी दर्शाते हैं कि केवल व्यक्ति से व्यक्ति संक्रमण ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय कारक भी श्वसन संबंधी वायरस संक्रमणों की दर को प्रभावित कर सकते हैं। इससे खासतौर पर उन क्षेत्रों में लक्षित स्वास्थ्य चेतावनियों का रास्ता खुल सकता है जहां हवा में फंगल बीजाणुओं की मात्रा अधिक होती है।”
अध्ययन के दौरान टीम ने 2022 से 2024 तक प्यूर्टो रिको के दो प्रमुख स्वास्थ्य क्षेत्रों — सान जुआन और कागुआस — में एकत्र किए गए दैनिक डेटा का विश्लेषण किया।
इसमें कोविड-19 और फ्लू से संक्रमित होने वाले लोगों की दैनिक संख्या, और उसी दिन दर्ज की गई हवा में मौजूद फंगल बीजाणु व परागकण की मात्रा शामिल थी।
शोधकर्ताओं ने यह जानने के लिए सांख्यिकीय और मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग किया कि क्या इन पर्यावरणीय तत्वों के उच्च स्तर फ्लू और कोविड मामलों में उसी सप्ताह या अगले सप्ताह (जिसे लैग इफेक्ट कहा जाता है) उछाल ला सकते हैं।
रिवेरा-मैरियानी ने कहा,
“यह निष्कर्ष विशेष रूप से बुजुर्गों या अस्थमा और एलर्जी से पीड़ित लोगों जैसे संवेदनशील समूहों के लिए पर्यावरणीय जोखिम अलर्ट को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं।”
यह अध्ययन लॉस एंजेलेस में आयोजित एएसएम माइक्रोब 2025 — अमेरिकी माइक्रोबायोलॉजी सोसाइटी की वार्षिक बैठक — में प्रस्तुत किया गया।
With inputs from IANS