न्यूयॉर्क — अमेरिका के शोधकर्ताओं की एक टीम ने रविवार को बताया कि उन्होंने यह पता लगाया है कि कैसे एक शक्तिशाली और अंतिम विकल्प माने जाने वाली एंटीबायोटिक कोलिस्टिन के प्रति प्रतिरोधक जीन आयातित सीफूड के जरिए फैल रहे हैं।
कोलिस्टिन का उपयोग केवल उन मामलों में किया जाता है जहां व्यक्ति को गंभीर और जीवनघातक बैक्टीरियल संक्रमण होता है और अन्य एंटीबायोटिक्स काम नहीं करतीं। लेकिन यह भी हमेशा असरदार नहीं होता।
दुनियाभर में कोलिस्टिन के प्रति बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है, जिससे इलाज के विकल्प और सीमित हो रहे हैं और संक्रमित व्यक्तियों की जान को अधिक खतरा पैदा हो रहा है।
जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हाल ही में इस प्रतिरोधक क्षमता के फैलने का एक तरीका खोजा है।
माइक्रोबायोलॉजिस्ट इस्मात कासिम और उनकी टीम ने एक नए अध्ययन में बताया है कि उन्होंने अमेरिका के अटलांटा क्षेत्र की आठ खाद्य दुकानों से खरीदे गए झींगा (श्रिम्प) और स्कैलप्स में कोलिस्टिन-प्रतिरोधक जीन वाले बैक्टीरिया को पहली बार अलग किया है।
कासिम ने बताया, “बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं है कि अमेरिका में खाया जाने वाला अधिकांश सीफूड आयातित होता है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत झींगा शामिल है।”
हालांकि आयातित सीफूड को जांचा-परखा जाता है, लेकिन यह प्रक्रिया सभी हानिकारक तत्वों को पकड़ नहीं पाती, खासकर एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) जीन को। “वे बैक्टीरिया जिनमें कोलिस्टिन प्रतिरोधक जीन थे, आमतौर पर जांच के दायरे में नहीं आते,” उन्होंने कहा।
टीम ने यह भी पाया कि इनमें से कुछ प्रतिरोधक जीन प्लास्मिड्स नामक गोल डीएनए अंशों में मौजूद हैं, जो एक बैक्टीरिया से दूसरे में आसानी से स्थानांतरित हो सकते हैं।
हर साल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंट संक्रमणों से दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत होती है, और यह वैश्विक स्तर पर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है।
कोलिस्टिन को 1950 के दशक में पहली बार बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए पेश किया गया था, लेकिन इसके दुष्प्रभाव — जैसे नसों और किडनी को नुकसान — के कारण इसे 1980 के दशक में अमेरिका में बंद कर दिया गया था।
हालांकि, कासिम ने बताया कि अन्य देशों में इसका इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में जारी रहा — न सिर्फ बीमारियों के इलाज के लिए बल्कि पशुओं की वृद्धि के लिए भी।
बाद में इसे मानव चिकित्सा में फिर से शामिल किया गया क्योंकि कुछ संक्रमणों के इलाज के लिए यह गिने-चुने विकल्पों में से एक था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोलिस्टिन को उच्च प्राथमिकता वाली अत्यंत महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक के रूप में वर्गीकृत किया है — यानी गंभीर मानव संक्रमणों के इलाज में यह एक अनिवार्य औषधि है।
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि उन्होंने कोलिस्टिन प्रतिरोधकता का सिर्फ एक स्रोत पहचाना है, लेकिन ऐसे और भी स्रोत हो सकते हैं, जो लगातार फैल रहे हैं।a
With inputs from IANS