हरित अमोनिया-आधारित उर्वरकों की दिशा में सरकार की पहल, कार्बन उत्सर्जन में होगी बड़ी कटौतीBy Admin Tue, 24 June 2025 03:06 AM

नई दिल्ली: भारत सरकार ने उर्वरक क्षेत्र को डीकार्बनाइज करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (SECI) ने हरित अमोनिया (Green Ammonia) की आपूर्ति के लिए एक ऐतिहासिक निविदा जारी की है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर देश में हरित उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाना है।

यह निविदा 7 जून को जारी की गई थी और अंतिम बोली 26 जून तक जमा की जानी है। इसके तहत देश के 13 उर्वरक संयंत्रों को हर साल 7.24 लाख टन हरित अमोनिया की आपूर्ति की जाएगी। यह निविदा ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांज़िशन के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप (SIGHT योजना) के तहत लाई गई है।

SECI, जो कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अधीन एक 'नवरत्न' सार्वजनिक उपक्रम है, इस योजना में मांग को एकत्र करेगा और उत्पादकों के साथ 10 वर्षों के लिए दीर्घकालिक समझौते करेगा, जिससे उन्हें बाजार में स्थायित्व मिलेगा।

अमोनिया, यूरिया और अन्य नाइट्रोजन-आधारित उर्वरकों का प्रमुख घटक है, जिसे फिलहाल जीवाश्म ईंधनों से तैयार किया जाता है, जिससे भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। इस निविदा के माध्यम से SECI अक्षय ऊर्जा से ग्रीन हाइड्रोजन और फिर ग्रीन अमोनिया का उत्पादन कर, घरेलू स्तर पर पर्यावरण-अनुकूल उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा देगा।

इस परियोजना को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए सरकार राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत वित्तीय प्रोत्साहन दे रही है। पहले तीन वर्षों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) क्रमशः ₹8.82/किग्रा, ₹7.06/किग्रा और ₹5.30/किग्रा निर्धारित किया गया है, जिसका कुल समर्थन ₹1,533.4 करोड़ होगा। साथ ही, उर्वरक कंपनियों से भुगतान में देरी के जोखिम को कम करने के लिए सरकार मजबूत भुगतान सुरक्षा तंत्र भी प्रदान कर रही है।

बोली प्रक्रिया SECI के ई-रिवर्स ऑक्शन मॉडल के तहत होगी, जिससे मूल्य निर्धारण पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बना रहेगा।

भारत हर साल लगभग 17-19 मिलियन टन अमोनिया का उपभोग करता है, जिसमें से 50% से अधिक हाइड्रोजन की मांग उर्वरकों के लिए होती है। लेकिन फिलहाल अधिकांश हाइड्रोजन आयातित प्राकृतिक गैस से प्राप्त की जाती है। SECI की यह पहल न केवल इस आयात पर निर्भरता कम करेगी बल्कि वैश्विक गैस कीमतों के उतार-चढ़ाव से देश को बचाएगी और व्यापार घाटा भी घटाएगी।

ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन पारंपरिक ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में काफी कम कार्बन उत्सर्जन करता है—जहां ग्रे हाइड्रोजन 1 किग्रा पर लगभग 12 किग्रा CO₂ छोड़ता है, वहीं ग्रीन हाइड्रोजन से यह उत्सर्जन 2 किग्रा से भी कम होता है।

देश में हरित अमोनिया के उत्पादन से न केवल भू-राजनीतिक संकटों के समय आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि इससे नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।

सरकारी बयान के अनुसार, “SECI की यह हरित अमोनिया निविदा हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में लंबे समय से चले आ रहे 'मुर्गी और अंडे' की चुनौती का समाधान है। यह एक साथ मांग और आपूर्ति दोनों को उत्प्रेरित करती है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण और अन्य स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।”

बयान में यह भी कहा गया है कि यह पहल भारत के वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

 

With inputs from IANS