नई दिल्ली — वैश्विक स्तर पर बाल टीकाकरण दरों में 2010 के बाद से आई गिरावट के चलते करोड़ों बच्चों की जान अब उन बीमारियों के खतरे में है, जिन्हें टीकाकरण से रोका जा सकता है। यह चेतावनी प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लैन्सेट में बुधवार को प्रकाशित एक नए अध्ययन में दी गई है।
वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में 204 देशों और क्षेत्रों में डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी, खसरा सहित 11 प्रमुख बीमारियों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित टीकों की कवरेज दरों का विश्लेषण किया गया।
अध्ययन के अनुसार, 1980 से 2023 के बीच दुनिया भर में इन बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण की कवरेज दर दोगुनी हो गई। साथ ही, ऐसे बच्चों की संख्या जो किसी भी प्रकार का टीका नहीं लेते (जिन्हें शून्य-खुराक बच्चे कहा जाता है) 1980 में 5.88 करोड़ से घटकर 2019 में कोविड महामारी से पहले 1.47 करोड़ रह गई।
हालांकि, 2010 के बाद कई देशों में यह प्रगति ठहर गई या उलट गई। उदाहरण के तौर पर, 2010 से 2019 के बीच 204 में से 100 देशों में खसरे के टीकाकरण की दर में गिरावट देखी गई। वहीं, 36 उच्च-आय वाले देशों में से 21 में कम से कम एक टीके की खुराक (डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी, खसरा, पोलियो या टीबी) की कवरेज में गिरावट दर्ज की गई।
कोविड महामारी ने हालात को और बिगाड़ा, जिससे टीकाकरण दरों में तेज गिरावट आई। अनुमान के अनुसार, 2020 से 2023 के बीच लगभग 1.56 करोड़ बच्चों को डिप्थीरिया-टिटनेस-पर्टुसिस या खसरे के तीन डोज नहीं मिल पाए। इसी अवधि में करीब 1.6 करोड़ बच्चों को पोलियो का कोई भी टीका नहीं लगा, और 91.8 लाख बच्चों को टीबी का टीका नहीं मिला।
इन चार वर्षों में दुनिया भर में 1.28 करोड़ अतिरिक्त शून्य-खुराक बच्चे सामने आए।
IHME के वरिष्ठ लेखक डॉ. जोनाथन मॉसर ने कहा, “पिछले 50 वर्षों के बड़े प्रयासों के बावजूद प्रगति सार्वभौमिक नहीं रही। अब भी बड़ी संख्या में बच्चे या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से टीकाकरण से वंचित हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक विषमताओं और कोविड महामारी के अलावा, वैक्सीन से जुड़ी गलत जानकारी और झिझक ने भी टीकाकरण की रफ्तार को कमजोर किया।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि 2023 में दुनिया भर के 1.57 करोड़ बिना टीकाकरण वाले बच्चों में से आधे से अधिक केवल आठ देशों में थे — जिनमें उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देश प्रमुख हैं: नाइजीरिया, भारत, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, सोमालिया, सूडान, इंडोनेशिया और ब्राजील।
डॉ. मॉसर ने चेतावनी दी कि “इन रुझानों से खसरा, पोलियो और डिप्थीरिया जैसी बीमारियों के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है। यह ज़रूरी है कि सभी बच्चों तक जीवनरक्षक टीकों की पहुंच सुनिश्चित की जाए।”
अध्ययन में नियमित बाल टीकाकरण कवरेज को मजबूत करने, निवेश बढ़ाने, रणनीति को लक्षित करने, टीकाकरण में अंतर कम करने और जीवनरक्षक टीकों की समान पहुंच सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है।
With inputs from IANS