नई जीन थेरेपी से बहरापन ठीक करने की उम्मीद जगीBy Admin Sat, 05 July 2025 07:00 AM

नई दिल्ली- वैज्ञानिकों ने बहरापन या सुनने में गंभीर समस्या झेल रहे बच्चों और वयस्कों के लिए एक नई जीन थेरेपी विकसित की है, जो उनकी सुनने की क्षमता को बेहतर बना सकती है। यह खोज बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए जीवन बदलने वाली साबित हो सकती है।

इस अध्ययन में स्वीडन और चीन के शोधकर्ताओं ने मिलकर 10 मरीजों पर जीन थेरेपी का परीक्षण किया, जिसमें सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। मरीजों ने बेहतर सुनाई देने की बात कही और इलाज से किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव नहीं दिखे।

कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट, स्वीडन के क्लीनिकल साइंस, इंटरवेंशन एंड टेक्नोलॉजी विभाग के सलाहकार और डोसेंट माओली डुआन ने कहा, "यह बहरापन ठीक करने के लिए जीन थेरेपी के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो बच्चों और बड़ों दोनों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है।"

नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 1 से 24 वर्ष की उम्र के 10 मरीजों को शामिल किया गया, जिनका इलाज चीन के पांच अलग-अलग अस्पतालों में किया गया। ये सभी मरीज 'ओटीओएफ' (OTOF) नामक जीन में म्यूटेशन के कारण बहरापन या गंभीर श्रवण बाधिता से ग्रसित थे।

इस जीन में गड़बड़ी के कारण 'ओटोफेरलिन' नामक प्रोटीन की कमी हो जाती है, जो कान से दिमाग तक ध्वनि संकेतों के संचार में अहम भूमिका निभाता है।

इलाज के दौरान वैज्ञानिकों ने एक सिंथेटिक एडेनो-असोशिएटेड वायरस (AAV) के जरिए ओटीओएफ जीन का कार्यशील संस्करण कान के भीतरी हिस्से तक पहुंचाया। यह इंजेक्शन 'राउंड विंडो' नामक झिल्ली के जरिए सीधे कॉख्लिया (श्रवण संरचना) में दिया गया।

इस थेरेपी का असर बहुत तेज़ी से देखने को मिला और अधिकतर मरीजों में सिर्फ एक महीने के भीतर सुनने की क्षमता में सुधार आया।

छह महीने बाद की जांच में पाया गया कि सभी प्रतिभागियों की सुनने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ। औसतन, जो ध्वनि पहले 106 डेसीबल पर सुनी जाती थी, अब वही ध्वनि 52 डेसीबल पर सुनाई देने लगी।

विशेष रूप से 5 से 8 वर्ष की उम्र के बच्चों में सबसे अच्छा परिणाम देखने को मिला।

उदाहरण के तौर पर, 7 साल की एक बच्ची ने इलाज के चार महीने बाद लगभग पूरी तरह से सुनने की क्षमता वापस पा ली और अपनी मां के साथ सामान्य बातचीत करने लगी। हालांकि, यह थेरेपी वयस्कों पर भी कारगर साबित हुई।

डुआन ने कहा, "पहले चीन में छोटे पैमाने पर बच्चों पर किए गए परीक्षणों में अच्छे नतीजे मिले थे, लेकिन पहली बार इस तकनीक को किशोरों और वयस्कों पर भी आजमाया गया।"

उन्होंने आगे कहा, "कई मरीजों की सुनने की क्षमता में बड़ा सुधार देखा गया, जो उनके जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। हम अब इन मरीजों पर नजर रखेंगे कि इसका असर कितने लंबे समय तक बना रहता है।"

महत्वपूर्ण बात यह रही कि इलाज पूरी तरह सुरक्षित और सहनीय साबित हुआ।

 

With inputs from IANS